अंतरिक्ष में 520 प्रकाश वर्ष दूर वैज्ञानिकों ने खोजा नया बेबी एक्सोप्लैनेट, सिर्फ 8 दिन में पूरा कर लेता है तारे का एक चक्कर
विज्ञान न्यूज़ डेस्क - वैज्ञानिकों ने धरती के बेहद करीब एक 'बेबी' एक्सोप्लैनेट की खोज की है। यह एक गैसीय एक्सोप्लैनेट है, जिसका व्यास बृहस्पति ग्रह से थोड़ा कम है। TIDYE-1b नाम का यह एक्सोप्लैनेट एक प्रोटोस्टार के चारों ओर चक्कर लगाता है और अभी बढ़ रहा है। यह धरती से करीब 520 प्रकाश वर्ष की दूरी पर टोरस मॉलिक्यूलर क्लाउड में है और अपने तारे का एक चक्कर सिर्फ 8.8 दिनों में लगा लेता है।
गौरतलब है कि एक्सोप्लैनेट वे ग्रह होते हैं जो हमारे सूर्य के चारों ओर नहीं, बल्कि किसी दूसरे तारे के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक एक्सोप्लैनेट की खोज कर रहे हैं ताकि उनमें जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि यह एक्सोप्लैनेट अपने तारे जितना ही नया है। इसीलिए इसे प्रोटोस्टार कहा जाता है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोटोस्टार की उम्र के आधार पर वैज्ञानिकों ने TIDYE-1b की उम्र 30 लाख साल होने का अनुमान लगाया है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि अगर इस एक्सोप्लैनेट की उम्र की तुलना इंसान की उम्र से की जाए तो यह एक्सोप्लैनेट 2 हफ्ते के 'बच्चे' जितना पुराना है, इसीलिए इसे बेबी एक्सोप्लैनेट भी कहा जाता है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बेबी एक्सोप्लैनेट के बारे में बताया है। नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) से मिले डेटा से इसकी खोज की गई। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से हमें ग्रहों के निर्माण के बारे में पता चलता है। हम ब्रह्मांड में अपना स्थान भी पता कर सकते हैं कि पृथ्वी कितनी पुरानी है। इसका निर्माण कहां से हुआ होगा और यह कहां जा रही है। खास बात यह है कि एक्सोप्लैनेट बहुत जल्दी दिखाई नहीं देते। शुरुआती सालों में इन्हें देखा नहीं जा सकता, क्योंकि ये धूल, गैस और दूसरी चीजों से ढके होते हैं। धीरे-धीरे जब धूल और गैस साफ हो जाती है तो ये दिखाई देने लगते हैं।