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पॉलीमर और प्लास्टिक को एक ही चीज समझने की गलती मत कर बैठना

 

जयपुर। अक्सर लोग दो एक जैसे गुणों वाली चीजों को एक ही समझने की गलती कर बैठते हैं, क्योंकि आम बोलचाल की भाषा में उनके बीच का यह वैज्ञानिक अंतर उनके पल्ले नहीं पड़ता है। जैसे कि प्लास्टिक और पॉलीमर दोनों अलग अलग चीज हैं, मगर कई लोग इसे भी एक ही पदार्थ समझते हैं। आपको बता दे कि हालांकि दोनों में कृत्रिम संश्लेषण की मदद से कुछ ऐसे यौगिक बनाए जाते हैं, जो कई उपयोगी उत्पाद बनाने में सहायक साबित होते हैं।

दरअसल वह वह प्रक्रम जिसमें बड़ी संख्या में सरल अणु एक-दूसरे से मिलन करके उच्च अणु भार का एक बड़ा अणु बना लेते है, तो उस रासायनिक अभिक्रिया को बहुलकीकरण कहते है। और इस प्रक्रिया में जो उत्पाद बनता है उसे बहुलक यानी के पॉलीमर कहते हैं। मगर प्लास्टिक में यह अलग प्रक्रिया होती है। वहा पर कोई भी बहुलक जैसी प्रक्रिया नहीं होती है। वैसे तो कहने को दोनों का ही उपयोग उत्पाद बनाने में किया जाता है, मगर कई बुनियादी अंतरों की वजह से इन्हें एक नहीं कहा जा सकता है।

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बता दे कि बहुलक को एकलक की मदद से बनाया जाता है। एक ही गुणों वाले एकलक अणुओं से बने बहुलक को हम समबहुलक कहते हैं। जबकि अलहदा एकलक अणुओं से बने बहुलक सहबहुलक के नाम से मशहूर होते हैं। वही दूसरी ओर प्लास्टिक में किसी भी एकलक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इन दिनों दोनों ही अपने अपने क्षेत्र में बुलंदियां छू रहे हैं। हालांकि प्लास्टिक से पर्यावरण को बहुत खतरा बढ़ चुका है। मगर बहुलक अभी भी कुछ हद तक सेफ हैं।

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संश्लेषित पॉलीमर की मदद से कई तरह के कृत्रिम रेशे बनाए जा सकते हैं। जैसे कि पॉलिथिलीन (Polyethylene), पॉलीप्रोपाइलीन (polypropylene), पीवीसी (PVC), नायलॉन (nylon), और बैकलेइट (Bakelite) इत्यादि कुछ सिंथेटिक पॉलीमर हैं, जो कि हमारे दैनिक जीवन को सुविधाजनक बनाते हैं।