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कुछ इस अंदाज़ में पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करते हैं

 

जयपुर। पौधे भी इंसान की तरह जानदार हैं, तो उन्हें भी भूख लगती है। हमारी तरह वे चल फिर नही सकते हैं तो कुदरत ने पौधों के भोजन की व्यवस्था उनके घर बैठे ही कर दी है। बस उन्हें आटे दाल की जगह सूरज की रोशनी और हवा पानी की आवश्यकता होती हैं। पौधे अपना भोजन पत्तियों की मदद से बनाते हैं। जी हां, प्रकाश संश्लेषण नामक अभिक्रिया की मदद से पौधे अपने पापी पेट को भरते हैं।

बता दे कि हरी पत्तियों का हरापन क्लोरोफिल की उपस्थिति की वजह से होता है। इसी क्लोरोफिल की मदद से पौधे वातावरण से ली गई कार्बन डाइऑक्साइड और जड़ों से सींचा गया पानी मिलाकर सूरज की रोशनी में यह प्रक्रिया शुरू करती है। पौधों का ग्रीन क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को तोड़कर अपने लिए जीवित रहने लायक ग्लूकोज तैयार कर ही लेते हैं।

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आपको बता दे कि हर पौधे की पत्तियों की सतह पर बड़ी भारी संख्या में महीन से छेद होते हैं। इन्हें सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता हैं। इन्हें स्टोमेटा (stomata) या स्टोमा (stoma) कहा जाता है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान हवा से कार्बन डाइऑक्साइड लेने का काम इन्हीं के द्वारा किया जाता हैं। जी हां, दरअसल कार्बन डाइऑक्साइड इन्हीं स्टोमेटा के माध्यम से पत्तियों में दाखिल होती हैं। स्टोमेटा के छिद्रों का खुलना और बंद होना केवल गार्ड कोशिकाओं के वश में ही होता हैं।

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इन्हीं गार्ड कोशिकाओं से पत्तियों में पानी आ पाता है। जब पौधों को कार्बन डाइऑक्साइड की जरूरत नहीं होती है और वो अपने अंदर पानी को बचाकर रखना चाहता है तो तुरंत वह इन स्टोमेटा के छिद्रों को बंद कर देता हैं। तो हम कह सकते हैं कि स्टोमेटा ही कार्बन डाईऑक्साइड को पौधे के अंदर दाखिल होने का रास्ता देता है।