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बोतलबंद पानी पीने से कोई खास फायदा नहीं होता, सब मन का वहम है

 

जयपुर। आजकल ज्यादातर लोग साधारण पानी में कीटाणु पाने जाने के डर से बोतलबंद पानी का उपयोग करते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का इस बारे में यही मानना हैं कि लोगों को इस बात की सच्चाई बखूबी मालूम है कि बोतल में बिकने वाले इस कथित मिनरल वाटर को पीने से शरीर को कोई खास लाभ नहीं होता है। लेकिन कंपनियों ने पानी में कीटाणु होने का डर का कारोबार ऐसा फैलाया है कि अब लोग मौत के डर से ही पैकिंग वाला पानी पीते हैं।

जी हां, मरने का डर लोगों को बोतलबंद पानी खऱीद कर पीने पर मजबूर कर रहा है। यह बात हाल ही में एक अध्ययन में पता चली है। हम आपको बता दे कि सालों से मिनरल वाटर के नाम पर दिग्गज विदेशी कंपनिया विकासशील और गरीब देशों की भोली भाली जनता को लूटती आई है। इस बारे में शोधकर्ता बताते है कि बोतलबंद पानी का हद से ज्यादा किया गया भ्रामक प्रचार औऱ लुभावने विज्ञापन इंसान के दिमाग पर मनोवैज्ञानिक असर डालते हैं।

इससे इंसान की संवेदनशीलता को निशाना बनाया जा रहा है। लोग डर की वजह से ही बोतल वाला पानी पीने को मजबूर हैं। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू में यह अध्ययन किया गया है। कंपनियों ने दो मुख्य तथ्य पकड़ लिए हैं। पहला तो पानी में कीटाणु होने का डर, दूसरा बोतलबंद पानी को आम पानी की तुलना में कई ज्यादा सुरक्षित और शुद्ध साबित करना। तभी तो इंसान बोतल के पानी पर आंख मूंदकर यकीन कर लेता है।

हम आपको बता दे कि इस अध्ययन के लिए सोशल साइकोलॉजी टेरर मैनेजमेंट थ्योरी का इस्तेमाल किया गया है। यह अध्ययन बताता है कि जब हमें नल के द्वारा बढिया क्वालिटी का पानी मिल रहा है, हम फिर भी बोतलबंद पानी की ओर ही आकर्षित होते हैं। क्योंकि इसने हमारे दिमाग पर गहरा असर किया है। तभी तो शानदार विज्ञापन के द्वारा यह बात साबित कर दी गई है कि बोतल में बिकने वाला पानी ही पूरी तरह से आपका जीवन बचा सकता है।