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मंगल ग्रह पर किस मौसम में कैसा वातावरण रहता है? जानिए यहां पर

 

चांद के बाद सबसे ज्यादा जिस खगोलीय पिंड के बारे में मानव की जिज्ञासा रही है, वो है मंगल ग्रह। जी हां, लाल धरती वाला यह ग्रह अपनी विशिष्ट विषमताओं के कारण इस समय इंसान का सबसे पसंदीदा खगोलीय पिंड बना हुआ है। एक ओर जहां भारत के मंगलयान ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पाये जाने वाले वातावरण के बारे में कई अनोखे खुलासे किये हैं।

नासा की माने तो सर्दियों के मौसम में मंगल ग्रह का वातावरण एकदम साफ़ रहता है, जबकि बसंत और गर्मी में धूल भरी आंधियां चलती हैं। इसके अलावा पतझड़ के मौसम में भी मंगल पर तेज हवाओं का दंगल होता रहता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नासा के महत्वाकांक्षी मिशन क्युरियॉसिटी मार्स रोवर ने मंगल की सतह पर जाकर यह महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई है। हमारे लिए गौरव की बात यह है कि नासा के इस मंगल अभियान में एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक भी शामिल है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक नासा के क्युरियॉसिटी मार्स रोवर ने मंगल के मौसम के बारे में यह अहम जानकारी दो पूर्ण चक्रों के जरिए प्राप्त की हैं। इस जानकारी में मंगल पर मौजूद जलवायु का वहां के मौसम के साथ संबंध दर्शाया गया है। मंगल पर जीवन की संभावना के बारे में यह जानकारी काफी अहम साबित होगी। करीब चार साल पहले गेल क्रेटर में प्रवेश करने के बाद से क्युरियॉसिटी मार्स रोवर ने अपना दूसरा मंगल वर्ष पूरा कर लिया है। यह नासा का सबसे अहम अंतरिक्ष अनुसंधान है।

क्युरियॉसिटी की ओर से मापे गए तथ्यों से यह पता चलता है कि रोवर के दूसरे मंगल वर्ष में दोहराए गए अन्य मौसमी स्‍वरूपों की वजह से स्थानीय वातावरण बदलता रहता है। मौसमी प्रभावों की वजह से ही मंगल पर अन्य तरह की जलवायु परिवर्तन की घटनाएं होती हैं। इस दौरान शोधकर्ताओं ने यह भी पाया हैं कि गेल क्रेटर में दक्षिणी गोलार्द्ध के पहले पतझड़ के दौरान स्थानीय वातावरण में मीथेन में बढ़ोत्तरी दूसरे पतझड़ के दौरान नहीं दोहराई जाती है। मंगल पर मिली यह जानकारी आऩे वाले सालों में वहां पर मानवीय बस्ती बसाने की परियोजना को एक नई गति देगी।