सभ्य होने का दावा करने वाला इंसान, आज भी आदिमानव की तरह हिंसक और बर्बर है
जयपुर। कहा जाता है कि प्रागैतिहासिक काल में आदिमानव काफी असभ्य हिंसक और बर्बर होता था। आधुनिक सभ्यता ने धीरे धीरे इंसान को पहले से कई बेहतर बनाया है। लेकिन अब यह दावा खोखला साबित होता नज़र आ रहा है। जी हां, हाल ही में हुए एक शोध में यह मालूम चला है कि आधुनिक मानव का असभ्य व्यवहार अब भी उतना ही हिंसक औऱ बर्बर है, जितना सदियों पहले हुए करता था।
हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि एक बड़ा और संगठित समाज युद्ध की संभावना को काफी स्तर तक कम कर सकता है, लेकिन उसे पूरी तरह नकार नहीं सकता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार आधुनिक समाज के पास सैनिकों की भारी तादाद मौजूद हैं, लेकिन यह कुल आबादी का काफी छोटा हिस्सा है। इसलिए इंसान खुद को सभ्य होने का दावा करता है। लेकिन जब .युद्ध या कोई आपदा आती है तो उस समय यही सभ्य मानव अपने बर्बर पूर्वजों से कम हिंसक नहीं रहता हैं।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल ने यह शोध किया है। इसके नतीजे बताते हैं कि एक देश के रूप में संगठित रहने वाले लोग कबीले में रहने वाले लोगों की अपेक्षा ज्यादा हिंसक होते हैं। बस वो अपना शक्ति प्रदर्शन खुले आम नहीं करते हैं। तभी तो युद्ध में मारे जाने वाले लोग पहले की तुलना में काफी ज्यादा होते हैं। इस ऐतिहासिक अध्ययन के परिणाम करंट एंथ्रोपोलॉजी नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।
शोधकर्ताओं की माने तो आधुनिक जीवन के साथ ही मानव ने बेहतरीन हथियार और सैन्य रणनीति बना ली है। इसी वजह से पत्थर वाले नुकीले हथियारों की जगह आजकल लड़ाकू विमान और अत्याधुनिक हथियारों से भारी तबाही मचाई जा सकती है। बता दे कि इस अध्ययन में 11 चिम्पैंजी समुदायों, छोटे स्तर के 24 मानव समाजों, प्रथम विश्वयुद्ध में लड़ने वाले 19 देशों और द्वितीय विश्वयुद्ध में लड़ने वाले 22 देशों में आबादी के संघर्षों में मरने वाले लोगों के आंकड़ों का गहनता से विश्लेषण किया गया था।