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झूठ बोलना सबसे ज्यादा है कठिन, जानियें क्यूँ

 

जयपुर। झूठ बोलना वैसे तो बहुत ही आसान माना जाता है लेकिन सच्चे होने का नाटक करना थोड़ा और मुश्किल होता है। हम सब इस बात को जानते है कि झूठ बोलना बहुत बुरी आदत मानी जाती है, लेकिन इतना सच्चा कोई नहीं है कि जिसने कभी भी झूठ नहीं बोला होगा है और वे आगे भी कर बोलते हैं। हम आपको बताते है कि आपको कब और कहां झूठ बोलना चाहिए। पहले आपको यह आप तय करना है कि आपको झूठ कैसे बोलना है

और किस तरह से रहना है लेकिन अगर ऐसा करना है, तो इसे प्रभावी तरीके से करें। यह ध्यान रखना चाहिए कि आदत झूठ बोलना आम रूप पर एक बुरी चीज है। इसे अपने दिन-प्रतिदिन की बातचीत में झूठ बोलने के लिए एक गाइड के रूप में उपयोग कर सकते है और स्वयं को सुरक्षित भी रख सकते हैं। आपको बता दे कि ईमानदारी अनिवार्य रूप से सबसे अच्छी नीति नहीं है। आपको जानकारी के लिए बता दे कि हम आप झूठ बोलने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं, लेकिन किसी भी स्थिति में झूठ बोलने का आत्मविश्वास मिल सकता है।

झूठ बोलना हर इंसान को आता है लेकिन प्रभावी और वैज्ञानिक तरीके से झूठ बोलने के लिए मेहनत बहुत लगती है। सीखना पड़ता है। शोध करने वाले मनोवैज्ञानिकों का मानना ​​है कि झूठ बोलने की गति अपने घर से करें। बात दे कि यह कठिन होगा मगर सचमुच कारगर साबित होगा। आप जब भी झूठ बोले तो सकुचाते हुए नहीं, धड़ले से बोलें। ऐसे बोलें जैसे आप बड़े सत्यवादी कोई नहीं। इस झूठ आंखों में आंखें डाल कर बोलें।