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तो इस तरह की जाती है क्लोनिंग, जान लीजिए जीवों की कार्बन कॉपी का सच

 

जयपुर। विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि वह अब अपने काबू से बाहर होती जा रही है। तभी तो इन दिनों इंसान कुदरत को चुनौती देने पर तुला हुआ है। इसी का दूसरा नाम क्लोनिंग है। कहने का मतलब है कि आपके जैसा दूसरा हमशक्ल बना दिया जाएगा, वो भी माता पिता में से किसी एक की मदद से। जी हां, यह अजीबोगरीब कारनामा दरअसल आनुवांशिक इंजीनियरिंग की वजह से संभव हो पाया है। आपने क्लोनिंग का सबसे बेस्ट उदाहरण मशहूर भेड़ डॉली के बारे में सुना ही होगा।

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जी हां, डॉली वही भेड़ है जिसका जन्म कुदरती तरीके से नहीं हुआ है। डॉली एक क्लोन है, जिसे क्लोनिंग प्रक्रिया से बनाया गया है। कहने को इस तरह का क्लोन अपने जनक की हूबहू कार्बन कॉपी होता है। मगर उसमें कुछ हद तक भिन्नताएं भी हो सकती हैं। लेकिन वैसे देखने में क्लोन हमशक्ल की तरह ही लगता है। आपने कई फिल्मों में भी यह कमाल देखा होगा।

तो चलिए आज हम आपको क्लोनिंग की प्रक्रिया से वाबस्ता करवाते हैं। माता या पिता में से किसी भी एक जनक की मदद से ठीक उसी की तरह दिखने वाला क्लोन बनाया जा सकता है। क्लोन के बारे में बात की जाए तो तो क्लोन एक ऐसी जैविक रचना होती है जो एकमात्र जनक की मदद से बिना किसी संगम के ही पैदा किया जाता है। बनने वाले क्लोन में अपने जनक से शारीरिक और आनुवंशिक गुण एकदम मिलते जुलते ही होते हैं।

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क्योंकि क्लोन उसके डीएनए की कार्बन कॉपी ही होती हैं। तो हम यहां पर कह सकते है कि क्लोनिंग किसी भी जीव के डीएनए की कार्बन प्रतिलिपि होती हैं। गौरतलब है कि इस तरह की आनुवांशिक तरक्की के कई फायदे और नुकसान भी हैं। अगर यह तकनीक गलत हाथों में चली गई तो काफी तबाही मचाई जा सकती है। यही वजह है कि आज तक इसका विरोध होता आया है।