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तो इस तरह बंदूक की गोली को नाकाम करती है बुलेटप्रूफ जैकेट

 

जयपुर। अक्सर आपने देखा होगा कि सेना या पुलिस के जवान किसी कारवाई में एक खास तरह की जैकेट पहने हुए नज़र आते हैं। दोस्तों इसे बुलेटप्रूफ जैकेट कहते हैं। मतलब अगर आपने यह जैकेट पहन रखी है तो बंदूक की गोली भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। इस तरह यह आज के दौर में सैनिकों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे अहम तकनीक बन चुकी है। इस जैकेट को विशेष तकनीक से बनाया जाता है ताकि पहनने वाले व्यक्ति को यदि गोली लग जाये तो भी वह सुरक्षित बच जाता है।

फिल्मों में अक्सर आपने इसे देखा होगा। बुलेटप्रूफ जैकेट को बनाने के लिए सबसे पहले आवश्यक कपड़ें का निर्माण किया जाता है। हम आपको बता दे कि इसके लिए खास तरह के रेशे यानी फाइबर का उत्पादन किया जाता है। यहां पर यह बात जरूर ध्यान रखी जाती है कि वह रेशा कम भारी और मजबूत हो। सबसे मशहूर पदार्थ का नाम है केवलर, जिससे यह जैकेट बनाई जाती है।

यह एक तरह का पैरा-अरैमिड सिंथेटिक फाइबर होता है। इसे तरल रासायनिक मिश्रण से बनाया जाता है। एक दूसरा रेशा भी होता है डाइनीमा, जिसे पॉलीथीन बेस से बनाया जाता है। इन दोनों रेशों में कम भार के साथ शानदार मजबूती पाई जाती है। बुलेटप्रूफ जैकेट में दो परते होती हैं। दोनों परतों के बीच में यह तरल रेशे पाए जाते हैं। अंतिम रूप से निर्मित बैलिस्टिक शीट के ऊपर तैयार धागे को करीब 130-200 मीटर की लंबाई में लपेटा जाता है। इस तरह यह एक कपड़े का रूप ले लेता है।

जब कोई गोली बुलेटप्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले वह सिरेमिक परत से आकर टकराती है। इससे गोली का अगला नुकीला सिरा टुकड़ों में बिखर जाता है। इससे गोली की गतिज ऊर्जा काफी कम हो जाती है। बस इसी वजह से गोली की भेदन क्षमता लगभग 80 प्रतिशत कम हो जाती है। इससे व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुचंता है। औऱ उसकी जान बच जाती है।