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अंतरिक्ष में किसी भी ग्रह का आकार किस तरह से ज्ञात करते है, जानिये

 

जयपुर। इस ब्रह्मांड में देखा जाये तो हमारा सौर मंडल अपने आप मे अकेला नही है। तकनीक की सहायता से हम ऐसे कई तारो को जानते है जिनके अपने ग्रह है। आपको बता दे कि अब तक खोजे गये सभी ग्रह विशालकाय थे और उनकी यानों की सहायता से खोजना आसान था। लेकिन  जानकारी के लिएअ बता दे कि  केप्लर 20e  तथा केप्लर 20f पृथ्वी के जैसे है और यह एक बड़ी खोज मानी जा रही है क्य़ोंकि केप्लर 20 मंडल मे तीन ग्रह भी है जो कि पृथ्वी से कई गुना बड़े है और  इनका नाम केप्लर 20b,c तथा d है। निरिक्षण से ज्ञात किया गया है कि इनका व्यास 24,000,40,000 तथा 35,000 किमी है,

जोकि नेपच्युन और युरेनस से कम है। हम इनके द्रव्यमान को जानते है। वैज्ञानिकों ने इनका द्रव्यमान को ज्ञात किया है पृथ्वी से 8.7,16.1 तथा 20 गुणा ज्यादा है। हम इसे महापृथ्वी कह सकते है। आपको बता दे कि यह सभी ग्रह अपने तारे की परिक्रमा काफी समीप से करते है। यह सारी प्रणाली तुलनात्मक रूप से बुध की कक्षा के अंदर ही है! यह प्रणाली हमारे सौर मंडल से अलग है। नासा की केप्लर वेधशाला अंतरिक्ष मे है और यह ब्रह्मांड का एक समय मे एक छोटे से हिस्से का निरीक्षण करती है।

फिहलाल इसके दृश्य पटल मे 100,000 तारे है जिसमे केप्लर 20 भी शामिल है। जानकारी दे दे कि जब कोई तारा किसी की परिक्रमा करता है तो कोई ग्रह अपने मातृ तारे के सामने से जाता है तो तारे के प्रकाश मे थोड़ी कमी आ जाती है और इस प्रक्रिया को संक्रमण कहते है। जितना बड़ा ग्रह होगा उतना ज्यादा प्रकाश रोकेगा और इसी प्रकाश की इस कमी को केप्लर वेधशाला पकड़ लेती है और प्रकाश मे आयी कमी की मात्रा से उसका आकार ज्ञात हो जाता है। इसी तरह से हमने इन ग्रहो का आकार ज्ञात हो जाता है। जिससे कहा जाता है कि यह ग्रह या तारा इतना बड़ा है।