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महामारी का इस तरह से खत्मा करेंगे मेंढक

 

जयपुर। दुनिया में फैली कई महामारियों के लिए जीवाणुओं के शक्तिशाली समूह है। वैज्ञानिकों ने इस समूह को सुपरबग कहा है। इसके लिए ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कहा था कि सुपरबग पर किसी भी एंटीबायोटिक दवा का असर नहीं होता है और यही कारण है की सुपरबग पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। लेकिन वैज्ञानिकों ने कई शोध करके इसका समाधान खोज लिया है। वैसे तो यह बहुत ही अजीब लग सकता है लेकिन यह सच है कि इस खतरनाक सुपरबग को मात देने में मेंढक एक सही साबित हो सकते हैं।

जी हां, वही मेंढक जो टर्र टर्र की आवाज़ करते हुए आपको परेशान करते हैं। इस नवीन शोध में ज्ञात हुआ है कि मेंढक की बाहरी त्वचा से निकाले गए एंटीबॉयोटिक्स से सुपरबग को नष्ट किया जा सकता है। दुनिया में सुपरबग से होने वाले खतरे को देखते हुए इस खोज को काफी अहम मान जा रहा है। हर साल सुपरबग की वजह से लाखों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। मेंढक की त्वचा से निकलने वाले 100 अलग अलग तरह के एंटीबायोटिक्स की पहचान करने में सफलता हासिल की है। इसके एंटीबायोटिक में खास बात यह है कि

यह मेथिसिलीन रेसिस्टेंस स्टाफायलोकोक्कस एयूरस (एमआरएसए) नामक सबसे घातक सुपरबग को मात दे सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि मेंढक की त्वचा में ऐसी कई खास खूबियां पाई जाती हैं, जिनसे अभी तक इंसान पूर्णतया अऩजान था। शोध में पाया गया है कि मेंढक की त्वचा में कई तरह के कीटाणुनाशक तत्व मौजूद होते हैं। वैसे तो मेंढक ऐसे माहौल में रहते हैं जहां पर कीटाणुओं का उस पर हमला होती ही रहता है। कुदरत ने मेंढक को बचाए रखने के लिए इस तरह के कई कीटाणु नाशक तत्वों से नवाज़ा हैं।