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क्या आप जानते हैं हीरा इतना क्यों चमकता है?

 

जयपुर। कहते है कि कोयले की खान में एक कीमती पत्थर पाया जाता है जिसे हम हीरा कहते है। जी हां, वही बेशकीमती नगीना जिसकी कीमत बाजार में लाखों करोड़ों में होती है। लेकिन क्या आप जानते है कि असल में  हीरा एक कार्बन की विशिष्ट अवस्था है। गौरतलब है कि डायमंड कार्बन का एक एलोट्रोप रूप है। मानी के यह कार्बन का प्राकृतिक रूप है जो कि सबसे कठोर और पारदर्शी होता है। यह आम तौर पर खानों में क्रिस्टल रूप में पाया जाता है। हीरे को तराशने के बाद यह बहुत चमकता है। इसकी कीमत इसकी चमक से ही निश्चित होती है। तो चलिए आज हम आपको हीरे के अंदर की बातें बताते हैं।

गौरतलब है कि हीरे के भीतर प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध यानी के कॉवेलेंट बॉन्ड से जुड़े रहते है। हीरे के बारे में बात की जाए तो यह एक बहुमूल्य पारदर्शी नगीना है जो आभूषणों की शोभा में चार चांद लगा देता है। दरअसल हीरा कार्बन का शुद्धतम रूप है। बेसिकली तीन मुख्य कारणों की वजह से हीरा इतना चकमता है। पहला है कुल आंतरिक परावर्तन (total internal reflection), दूसरा है अपवर्तन (refraction), तथा तीसरा है विक्षेपण (dispersion)।

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जब हीरे के भीतर रोशनी जाती है तो वह इसकी पारदर्शी दीवारों से छितर जाता है, इसी वजह से हीरा चमकने लगता है। हीरे को एक जटिल प्रिज्म की तरह समझा जा सकता है। जब हीरे में रोशनी का दाखिला होता है तो वह हीरे के भीतर एक क्रांतिक कोण बनाती है। इसी वजह से अंदर रोशनी का इतना फैलाव हो जाता है कि हीरा जगमगाने लगता है। हीरे का चमकना इस बात पर निर्भर करता है कि प्रकाश हीरे के कौन से हिस्से से गुजरता है।

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इसी वजह से हीरे को तराशते वक्त जौहरी खास ध्यान रखता है कि रोशनी का प्रवेश सही से हो पाए। माना जाता है कि हीरा अंधेर में बहुत ज्यादा चमकने लगता है। क्योंकि अंधेरे में हीरे के भीतर की रोशनी एक साथ बाहर की ओर निकलती हैं। इसी वजह से हीरा तराशते हुए इसमें कई कट बनाए जाते हैं। तो अब तक आप समझ चुके होंगे कि हीरा इतना क्यों चमकता है।