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क्या आपको मालूम है? दुनिया को किस हथियार से सबसे ज्यादा खतरा है

 

क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे तबाही मचाने वाली हथियार प्रणाली कौनसी है? वह है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (इएमपी)। जी हां, यह एक प्रकार से किसी भी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस से निकलने वाली तरंगें, ऊर्जा या फिर रेडिएशन हो सकती हैं, जो उस रेंज में मौजूद तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।

इएमपी को समझने के लिये आपको अपना मोबाइल फोन टीवी ऑन करके उसके पास रखना होगा, फिर ज्योंही मोबाइल में कोई फोन या मैसेज आता है तो टीवी से एक अजीब तरह की आवाज़ आने लग जाती है। यह आवाज़ फोन की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स के द्वारा उत्पन्न होती है। रेडियो-टीवी और स्मार्टफोन जैसे सभी उपकरण इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स द्वारा ही संचालित होते हैं।

हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से एक खास तरह की विद्युत चुंबकीय तरंग निकलती हैं, जो किसी भी दूसरे ऐसे उपकरण को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। दूसरे विश्वयुद्ध में इस तकनीक पर आधारित हथियार बनाने की प्रक्रिया पर शोध होना शुरू हो गया था। नाजी वैज्ञानिकों ने सर्वप्रथम् इस तरह के कई प्रयोग किए थे। हालांकि वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए थे। शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने इएमपी गन बनाने की कई नाकाम कोशिशें भी की थी। हालांकि इस प्रकार की बंदूक बनाई भी जा चुकी हैं, लेकिन भारी भरकम वज़न उसकी सबसे बड़ी समस्या रहती है।

रेल गन इएमपी पर आधारित सबसे सफल हथियार है। वर्तमान दौर में इटली और नीदरलैंड इस तरह के हथियारों को विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहे हैं। मोबाइल जैमर भी इएमपी तकनीक पर ही आधारित होते हैं। हालांकि विशेषज्ञों की माने तो दुनिया को इएमपी हथियारों से ज्यादा बड़ा खतरा न्यूक्लियर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स से लगता है। उनके मुताबिक अगर एक विशेष तरीके से परमाणु बम ब्लास्ट कराया जाए तो वह सामान्य विकिरणों से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। 1925 में अमेरिकी वैज्ञानिक आर्थर एच कॉम्प्टन ने बताया कि परमाणु विस्फोट में भी विद्युत चुंबकीय तरंगें निकलती हैं जो बहुत घातक सिद्ध होती हैं।

1958 में सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने 1.7 किलोटन के परमाणु बम की मदद से इस तथ्य की जांच की थी। 1962 में सोवियत रूस ने प्रोजेक्ट-के में ऐसे कई परीक्षण किए थे। हालांकि विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से जो हथियार विकसित किए गए हैं, उनमें ज्यादातर हथियार विस्फोटक श्रेणी में नहीं आते हैं। एक सिद्धांत के मुताबिक अगर परमाणु बम को धरातल से 20 किलोमीटर या उससे ज्यादा ऊपर ब्लास्ट कराया जाए तो इससे तीन परतों में इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक विकिरणे निकलती हैं। ये विकिरणें उस क्षेत्र में मौजूद हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को नष्ट कर देती है। चूंकि ब्लास्ट जमीन पर नहीं होता है, इसलिए गर्म किरणें भी हवा में ही पैदा होती हैं, और इसका प्रभाव क्षेत्र पहले के मुकाबले 5 गुना ज्यादा हो जाता है।