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क्या पुरूषों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है ?

 

एक नए अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों की एक टीम ने बताया है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सर्वाइवल रेट ज्यादा होती है। दिल का दौरा पड़ने के दौरान हमारा दिल शरीर की मांग के अनुसार खून पंप नहीं कर पाता है। इस अध्ययन में 28,000 पुरुषों और 14,000 महिलाओं को शामिल किया गया था जिनको कि दिल का दौरा पड़ने के बाद तीन साल ट्रैक किया गया था।

महिलाओं की तुलना पुरुषों से करने पर उन्होंने पाया कि पुरुषों को दिल का दौरा एक बार पड़ने के बाद 31 प्रतिशत तक अधिक जोखिम था। हालांकि, अगर हम पुरुषों और महिलाओं की मृत्यु दर के बीच अंतर को देखें तो वो बहुत ही मामूली था। क्योंकि इन तीन साल के समय के दौरान 25.3 प्रतिशत महिलाएं और 25.7 प्रतिशत पुरुषों की मृत्यु हुई थी। अध्ययन करने वाली टीम का सबसे मुख्य उद्देश्य यही था कि किसी का पुरूष या महिला होना किस तरह से दिल का दौरा पड़ने के बाद खतरों को बढ़ा देता है।

वैज्ञानिकों ने आगे बताया कि महिलाओं के शरीर में कई तरह के ऐसे कारक पाए जाते हैं जो कि  महिलाओं को लंबे समय तक बचाए रखते हैं। इसके अलावा महिला और पुरुष का शरीर दिल का दौरा पड़ने पर अलग-अलग तरह से रिसपॉन्स देता है। उदाहरण के लिए, महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने के बाद उनके शरीर में हानिकारक परिवर्तन बहुत ही कम होते हैं। इसके साथ ही दिल की धड़कन में अनियमितता भी बहुत ही कम आती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि महिलाओं को इस तरह की कंडीशन्स में पुरुषों की तुलना में इलाज के उपाय भी बहुत ही कम बताए जाते हैं। इनमें angiotensin converting enzyme (ACE) inhibitors जैसे इलाज शामिल होते हैं।

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