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कम्प्यूटर की जैसे दिमाग भी करता है दिमागी कचरे को डिलीट

 

जयपुर। कम्प्यूटर में आप कोई भी गलत बात लि​खी हो या कोई ऐसी चीज हो जो आपको पसंद नहीं हो को आप डिलिट बटन का इस्तेमाल करके हटा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा है कि उसी प्रकार इंसान के दिमाग में भी ऐसा ही होता है। बस उसको उपयोग करने का तरीका आना चाहिए।

वैज्ञानिक बताते है कि इंसान के दिमाग में एक न्यूरो सर्किट होता है। जिसका आप जितना इस्तेमाल करोगे वो उतना ही स्ट्रोंग होता जाता है। लेकिन ऐसा सभी के साथ होता है कि किसी चीज का दोहरान बंद कर दिया जाये तो वो ​चीज एक निश्चित समय के बाद दिमाग से हट जाती है।

या यू कहिए की दिमाग से वो बात डि​लीट हो जाती है। इस प्रक्रिया को न्यूरॉसाइंस में सिनेप्टिंग प्रुनिंग कहते है। इसकी मदद से दिमाग में कम उपयोग होने वाली चीजों की खुद—ब—खुद छंटाई होती रहती है। अगर इसको समझने के लिए हम उदाहरण दे तो हम कह सकते है कि इंसान का दिमाग एक बगीचे की तरह होता है।

बगीचे में माली मौसम व ऋतु के अनुसार फल,सब्जी,फूल आदि को बोता है और उसकी पसंद के हिसाब उनमें बदलाव करता है। वो समय के अनुसार पुरानी चीजों को हटा देता है और नई चीजों का इस्तेमाल करता रहता है। इसी प्रकार से इंसान के दिमाग में पाये जाने वाले न्यूरो सर्किट में भी दो कोशिकाएं होती है।

पहली ग्लियल कोशिका और दूसरी होती है माइक्रोग्लियल कोशिका। ग्लियल कोशिका सूचना और जानकारी को न्यूरोंस में सिग्नल भेजकर सक्रिय बनाये रखती है। वही माइक्रोग्लियल कोशिका मस्तिष्क में मौजूद पुरानी बातों को ​डिलीट करती रहती है।

वैज्ञानिकों ने एक जांच के बाद इस बात का खुलासा किया है कि कम्प्टूर की तरह ही दिमाग में भी डिलीट वाला बटन आता है। ये एक प्रकार की कोशिकाएं होती है, जो दिमाग के न्यूरों सर्किट में मौजूद रहती है। इसमें पहली होती है ग्लियल कोशिका और दूसरी होती है माइक्रोग्लियल कोशिका। ग्लियल कोशिका सूचना और जानकारी को न्यूरोंस में सिग्नल भेजकर सक्रिय बनाये रखती है और माइक्रोग्लियल कोशिका कचरे को साफ करती है। कम्प्यूटर की जैसे दिमाग भी करता है दिमागी कचरे को डिलीट