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यह खूंखार मछली जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती है

 

जलवायु परिवर्तन के कारण इंसान ही नहीं बल्कि समुद्री जीव भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं उस खूंखार मछली की जिसके बारे में सोचकर ही रूह कांप उठती है। शार्क की घटती आबादी को लेकर हाल ही में एक शोध किया गया है। इस अध्ययन में एक अनोखा बात निकलकर सामने आई है कि आर्कटिक सागर में पाई जाने वाली एक विशेष शार्क प्रजाति जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती हैं।

दरअसल वैज्ञानिकों के एक दल ने सैंड टाइगर शार्क के पुराने जीवाश्म का अध्ययन किया है। शार्क के दांत का यह जीवाश्म आर्कटिक सागर में स्थित कनाडा के बैंक्स आईलैंड पर पाया गया है। यह दांत आज से 3.8 से 5.3 करोड़ साल पहले के इओसीन युग का बताया जाता है। उस समय वहां पर समशीतोष्ण जलवायु हुआ करती थी। इस वजह से समुद्र का पानी आज की तुलना में कम खारा हुआ करता था।

यह शोध शिकागो यूनिवर्सिटी के समुद्र वैज्ञानिक सोरा किम ने किया है। सोरा की माने तो यह शार्क कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी ज़हरीली गैस का अवशोषण कर सकती है। सैंड टाइगर शार्क को खारे जल में रहना बहुत पसंद होता है। हालांकि उस समय यह खूंखार शार्क कम खारे पानी में रहती थी।

इस शोध से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि शार्क बढ़ते हुए तापमान और समुद्री जल के घटते खारेपन में भी रह सकती है। साथ ही तापमान बढ़ाने वाली गैसा को अवशोषित भी कर सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले हुए एक अध्ययन में यह पाया गया था कि दुनिया में समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण शार्क और अन्य जलीय जीव उत्तरी ध्रुव की ओर पलायन कर रहे हैं। यह अध्ययन जूलॉजी नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।