क्यों वैज्ञानिक गैलीलियो और आइंस्टीन को गलत साबित करना चाहते हैं?
Oct 20, 2020, 12:47 IST
17 वीं शताब्दी में, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और भौतिक विज्ञानी गैलीलियो गैलीली, पीसा की मीनार के शीर्ष पर चढ़ें और दो अलग-अलग आकार के गोले निचे गिराये, उन्होंने अपने सिद्धांत को प्रदर्शित करने की कोशिश करतें हुए कहा, जिसमें बाद में आइंस्टीन ने भी अपनी बात “theory of relativity ” द्वारा सिद्ध भी करी थी ।
गैलीलियो गैलीली नें यह कथन कहा की – ” वस्तुएं अपने आकार की परवाह किए बिना समान एवं उसी उसी दर पर गिरती हैं। अभी भी दो साल तक अलग-अलग द्रव्यमान की दो वस्तुओं को सैटेलाइट में मुक्त रूप से गिरने के बाद जो कि एक-दूसरे के प्रतिशत के ट्रिलियन के भीतर थीं, वैज्ञानिकों के एक समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि गैलीलियो और आइंस्टीन सही थे।
इस कथन को समय -समय पर कई वैज्ञानिकों ने परिक्षण भी करा है और निष्कर्ष हर बार समान ही पाया गया है परन्तु वैज्ञानिक अभी भी संतुष्ट नहीं है और कहना है की कोई न कोई अपवाद (एक्सेप्शन ) जरूर होगा जो इस दायरे को गलत साबित कर पायें। कई वैज्ञानिक आज भी यह बात स्वीकार करनें से कतराते हैं,ऐसा इसलिए है भी कहा जा सकता है क्योंकि ब्रह्मांड के बारे में वैज्ञानिकों की राय अभी भी आपस में एक-दूसरें से अलग हैं।
क़्वांटम मैकेनिक्स और सापेक्षता सिद्धांत (जनरल रिलेटिविटी) यह दो ऐसी नींव है जिनके ऊपर पूरी भौतिक विज्ञान बनी है जिसे आज हम पढ़ते हैं पर आज भी हम इनके विषयों और सिद्धांतों के ऊपर एकीकृत नहीं हैं। लेकिन ,पीटर वुल्फ, फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च पेरिस ऑब्जर्वेटरी अनुसंधान के निर्देशक ने कहा की –
“यदि हम उस दुनिया में होते जहाँ चारों ओर डार्क मेटर होता भलें ही हम उसे देख न पाए तो शायद हम वस्तुओं के गिरनें और गैलीलियो और आइंस्टीन में बदलाव देख पायें जिसकी हम सब कल्पना कर रहें हैं “,इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ” हो सकता है वह परिवर्तन अत्यधिक छोटा हो परन्तु वह काफी होगा ये जवाब देनें के लिए कि जिस वस्तु की हम ख़ोज कर कर रहें वो Dark matter हैं।