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प्रदूषित हवा भी करती है,गणित विषय को प्रभावित

 

जयपुर। हर मां—बाप यही चाहता है कि उनका बच्चा पढ़ाई में होशियार हो। लेकिन ऐसा सभी के साथ नहीं होता है। अगर होता भी हो तो ऐसा होगा कि वो गणित विषय में कमजोर होगा।

अभी तक बच्चों में कमजोरी का कारण बचपन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में किये एक शोध के बाद इन सब बातों से नकारा है। वैज्ञानिक बताते है कि बच्चों में मैथ्स की कमजोरी का कारण आसपास का माहौल होता है।

इस बात को सुनकर कई लोगों की जबान पर ये बात अवश्य ही आयी होगी कि आखिर गणित और पर्यावरण के माहौल में कैसे संबंध हो सकता है। लेकिन इसके संबंध में चीन में एक शोध किया गया तो सामने आया ​कि संख्यात्मक विषय में कमजोरी का घर के आसपास के माहौल से गहरा संबंध होता है।

शोधकर्ता बताते है कि गणित विषय की पढ़ाई पर प्रदूषण का अप्रत्यक्ष प्रभाव सोच से भी कही ज्यादा हो सकता है। कहा गया है कि प्रदूषित हवा केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि सोचने और फैसला लेने की क्षमता को भी प्रभावित करती है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से संख्यात्मक संबंधी कौशल पर काफी असर पड़ता है।

जिसका असर ये होता है कि मौखिक और गणित की परीक्षा के अंकों में कमी आ सकती है। इसकी पूरी जानकारी के लिए दिल्ली और यूपी जैसे शहरों में रह रहे बच्चों में गणित विषय की रूचि के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। वहां पर रहने वालें बच्चों का गणित काफी कमजोर होता है।

एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि गणित विषय में कमजोरी की जिम्मेदार बचपन की लापरवाही नहीं बल्कि घर के आस—पास का माहौल होता है। घर के आसपास का वातावरण जैसा रहेगा बच्चों का संख्यात्मक विषय भी उसके अनुसार होगा। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से संख्यात्मक संबंधी कौशल पर काफी असर पड़ता है। जिसका असर ये होता है कि मौखिक और गणित की परीक्षा के अंकों में कमी आ सकती है। प्रदूषित हवा भी करती है,गणित विषय को प्रभावित