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तो कृत्रिम बारिश है चीन का अगला हथियार, लाना चाहता है भारत में तबाही

 

जयपुर। भारत के पड़ोसी देशों की अगर बात की जाए तो पूर्व और पश्चिम दोनों तरफ दो चालबाज और मक्कार देशों ने कई सालों से हिंदुस्तान की नाक में दम कर रखा है। इनमें भी चीन की धूर्तता के किस्से तो सारे जगत में मशहूर है। चीन हर बार की तरह सामने से वार करने के बजाए छुपकर वार कर रहा है। इस बार हम बात कर रहे है चीन के नए पैतरे यानी कृत्रिम वर्षा की। चीन ने हाल ही में भारतीय सीमा से सटे हुए इलाकों में पेयजल संकट का बहाना बनाकर कृत्रिम बाऱिश करने की योजना बना ली है।

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मगर इस तरह की कृत्रिम बारिश से असम और अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में भीषण बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं। हाल ही में चीन ने अपने सीमावर्ती इलाकों में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए पानी की जरूरत का हवाला देते हुए कृत्रिम बरसात करने की प्लानिंग शुरू कर दी है। हालांकि इससे पहले यह जानकारी मिली थी कि चीन ने अपने रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी पहुंचाने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को सुरंग की मदद से मोड़ना चाह रहा है।

हालांकि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों ने इस परियोजना के गहन अध्ययन करने के बाद इसे करने से चीन को मना कर दिया है। क्योंकि यह कदम कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दे सकता हैं। फिर हिमालय के निकटवर्ती हिस्सों में इस तरह की कृत्रिम वर्षा करवाना किसी भी तरह से सही नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है।

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बेमौसम इस तरह की नकली बारिश से सर्वाधिक नुकसान असम और अरुणाचल प्रदेश को ही होगा। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा हैं कि अगर चीन इस तरह की तानाशाही करता है तो इससे संपूर्ण हिमालय क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र ही खतरे में आ सकता है। फिर भी चीन के कान पर जूंत तक नहीं रेंग रही हैं। भारत ने इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है।