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चिंता और तनाव के दौरे से मस्तिष्क पर पड़ता है गहरा असर

 

जयपुर। दुनिया की तेज भाग दौड़ में महिलाओं और पुरुषों में चिंता, तनाव जैसे दौरे पड़ने की समस्या बढ़ रहती ही जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दौरा पड़ने की समस्या के लिए कुछ हद तक स्वास्थ्य के लिहाज से ख़राब जीवनशैली ज़िम्मेदार है।

उनका कहना है कि दौरा पड़ना अब बुजुर्गों की बीमारी नहीं मानी जानी चाहिए। यह नौजवानों में भी सक्रिय है। अधिक चिंता और तनाव के  कारण शरीर को बहुत तकलिफ होती है। जब इंसोन को चिंता और तनाव के दौरे पड़ते है तब ख़ून के थक्के बनने और मस्तिष्क में

रक्तस्राव होने से भी दौरे पड़ने लगते हैं और इससे लंबे समय तक विकलांगता की स्थिति भी हो सकती है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन चैरिटी में डॉ. माइक नैप्टन ने कहा कि युवा पुरुषों और महिलाओं में बढ़ रही यह समस्या चिंता का विषय है।

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन चैरिटी में डॉ. माइक नैप्टन ने कहा, “इन निष्कर्षों से यह बात सामने आ रही है कि रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए और 40 साल की उम्र में स्वास्थ्य जांच ज़रूर कराना चाहिए। ” वरना भविष्य में खतरा बन सकती है।