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आखिर क्यों बर्फ पर खड़े होते ही हम फिसलने लगते है

 

जयपुर। आपने बर्फ तो देखी ही होगी। और इस बर्फ पर कभी कभी फिसले भी होंगे। ठंडे इलाको में बर्फ में लोग स्केटिंग भी करते है। जानकारी के लिए बता दे कि विंटर ओलंपिक में आइस स्केटिंग का खेल केवल इस तथ्य पर निर्भर करता है कि बर्फ पर फिसलन होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बर्फ पर स्पीडस्केटर 35 मील प्रति घंटे तक पहुंच जा सकता है। क्योकि बर्फ का घर्षण कम होता है। लेकिन कई सालों से वैज्ञानिकों इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे है

कि आखिर बर्फ पर फिसलन क्यों होती है? और इस पर स्केट्स इतनी अच्छी तरह से आगे क्यों बढ़ जाते हैं?  कई शोध और अध्ययन के बाद वैज्ञानिइस सवाल का जवाब ढूंढ लिया है। बर्फ पर फिसलन का रहस्य वैज्ञानिकों ने सुरझा लिया है। जैसा कि हम जानते हैं कि बर्फ ठोस का पानी है। जब पानी ठोस हो जाता है और आकर्षक लगने लगता है।जानकारी के लिए बता दे कि  पदार्थों के लिए ठोस तरल से अधिक घना होता है। जब एक पदार्थ ठोस से ठंडा हो जाता है, तो उसके अणु बहुत पास पास बंध जाते हैं।

लेकिन बर्फ इन सब से अलग ठोस है। यह एक रासायनिक क्रिया है  जब यह 32 डिग्री फेरेनहाइट से कम हो जाती है, तो पानी के अणुओं के बीच एक विशेष हाइड्रोजन बांड एक दूसरे के पानी के अणुओं के बीच खाली स्थान को भर देते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ठोस बर्फ वास्तव में एक तरल पानी की तुलना में कम घनी होती है। और यही कारण है कि बर्फ के टुकड़े समुद्र में तैरते हैं। बर्फ की रफ़ू फिसलन है को लेकर वैज्ञानिक कई तरह के अध्ययन कर और शोध कर इस बात का पता लगाया है। बर्फ फिसलन क्यों है क्योंकि बर्फ दबाव में पिघला देता है।