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"सदन में विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है....' संसद में गरजे Rajeev Shukla, वीडियो क्लिप में देखे सरकार पर लगाए लोकतंत्र कुचलने के आरोप 

 

संसद के मानसून सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी तकरार एक बार फिर सामने आई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने मंगलवार को सदन में विपक्ष की आवाज दबाए जाने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन मौजूदा सरकार लगातार इस अधिकार का हनन कर रही है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/Ppl46nDZPgQ?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/Ppl46nDZPgQ/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title=""सदन में विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है!" | गुस्से में बोले Rajeev Shukla | Parliament 2025" width="1250">
राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों को बोलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिए जाने से नाराज राजीव शुक्ला ने कहा,"यह बेहद चिंताजनक स्थिति है कि संसद जैसी संस्था में भी विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। हमारी बात को सुनने की बजाय माइक बंद कर दिया जाता है, प्रश्नकाल में टालमटोल की जाती है, और बहस से पहले ही बिल पारित कर दिए जाते हैं। यह लोकतंत्र का अपमान है।"शुक्ला के इस बयान के बाद कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन के कई सांसदों ने सरकार के रवैये की आलोचना की और विरोध जताने के लिए वॉकआउट किया। कांग्रेस का कहना है कि ये घटनाएं न केवल विपक्ष के अधिकारों का हनन हैं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर भी सवाल उठाती हैं।

राजीव शुक्ला ने विशेष रूप से उन मुद्दों का ज़िक्र किया जिन पर विपक्ष लगातार बहस की मांग करता रहा है—जैसे कि बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट, जातीय हिंसा और लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वायत्तता। उन्होंने कहा कि,"हम इन सवालों को सदन में उठाना चाहते हैं, लेकिन हमें मौका ही नहीं दिया जाता। सरकार की प्राथमिकता अब संवाद नहीं, केवल एकतरफा फैसले थोपने की बन गई है।"

सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष केवल ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। सरकार की तरफ से राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल ने कहा कि,"सरकार संसद में चर्चा के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन विपक्ष का उद्देश्य केवल हंगामा करना और कार्यवाही को बाधित करना है।"

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संसदीय परंपराएं तभी मजबूत होंगी जब सभी पक्षों को समान मंच और समय मिलेगा। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अजय सिंह के अनुसार,"अगर विपक्ष को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं दिया गया, तो संसद का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। लोकतंत्र बहस और असहमति से ही मजबूत होता है।"फिलहाल, मानसून सत्र का माहौल लगातार गर्म बना हुआ है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच यह तकरार किस दिशा में जाती है।