"वोट की चोरी बंद करो..." चुनाव आयोग पर बरसे तेजस्वी यादव, विअर्ल क्लिप में देखे मोदी और नीतीश पर लगाया ये बड़ा आरोप
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि "वोट चोरी बंद होनी चाहिए।" तेजस्वी का यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया, जिसमें उन्होंने भाजपा और जदयू पर सीधा हमला बोला।तेजस्वी यादव ने कहा, "चुनाव आयोग निष्पक्षता का अपना कर्तव्य निभाने में विफल हो रहा है। प्रशासन और सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके विपक्ष के वोट बैंक को कमजोर किया जा रहा है। यह लोकतंत्र की सीधी हत्या है।"उन्होंने आगे आरोप लगाया कि एनडीए सरकारें, खासकर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार, चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।
तेजस्वी ने दावा किया कि हाल ही में कई बूथों पर मतदाता सूची से नाम गायब पाए गए और कहीं-कहीं फर्जी मतदान की शिकायतें मिलीं, लेकिन चुनाव आयोग ने इन मामलों में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा, "चुनाव सिर्फ़ वोटिंग मशीन का बटन दबाने का मामला नहीं है, यह जनता की आवाज़ है। अगर उस आवाज़ को दबाया गया, तो यह संविधान और लोकतंत्र, दोनों के साथ विश्वासघात होगा।"अन्य राजद नेताओं ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और चेतावनी दी कि अगर यही रवैया रहा, तो जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।
इस मौके पर राजद प्रवक्ता मनोज झा ने भी कहा, "आज जो व्यवस्था सत्ता के लिए काम कर रही है, कल वही जनता के गुस्से का शिकार बनेगी। हम चुनाव आयोग से अनुरोध नहीं, बल्कि चेतावनी दे रहे हैं - अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाएँ।"भाजपा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि राजद अपनी संभावित हार से घबरा गई है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "तेजस्वी यादव को पता चल गया है कि जनता ने उन्हें नकार दिया है, इसलिए अब वह चुनाव आयोग पर निशाना साध रहे हैं।"
साथ ही, जदयू नेताओं ने भी कहा कि चुनाव आयोग बिहार में स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है और किसी भी तरह की धांधली का कोई सबूत नहीं है।हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह हमला महज़ एक बयान नहीं, बल्कि आगामी चुनावों के लिए एक रणनीतिक चाल है। उनका मकसद चुनावी व्यवस्था के प्रति असंतोष जताकर अपने समर्थकों को एकजुट करना है।अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और इस बयानबाजी का बिहार की राजनीति पर कितना असर पड़ता है।