मराठी अस्मिता के नाम पर फिर गरजी MNS! व्यापारियों की रैली को लेकर सड़क पर उतरे कार्यकर्ता, कई गिरफ्तार
महाराष्ट्र में भाषा विवाद इस हद तक गहरा गया है कि राज ठाकरे की पार्टी मनसे के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। हालात ये हैं कि कुछ दिन पहले पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक फूड स्टॉल मालिक की पिटाई कर दी थी। व्यापारी संगठनों ने इसका विरोध किया था। अब इसके जवाब में मनसे कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को रैली निकाली है, जहां पुलिस भी सख्त कार्रवाई कर रही है। बताया जा रहा है कि यह रैली पुलिस की अनुमति के बिना निकाली गई थी और इसके कारण ठाणे जिले में भारी ट्रैफिक जाम और तनाव की स्थिति बन गई। रैली शुरू होने से पहले ही पुलिस ने मनसे के ठाणे और पालघर प्रमुख अविनाश जाधव समेत कई प्रमुख नेताओं को सुबह साढ़े तीन बजे हिरासत में ले लिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनसे नेता संदीप देशपांडे ने कहा, "यह स्थिति आपातकाल जैसी है। हमारे नेताओं को सुबह-सुबह गिरफ्तार कर लिया गया जबकि गुजराती व्यापारियों की रैली को पूरा सम्मान दिया जा रहा है। यह महाराष्ट्र सरकार है या गुजरात सरकार?" उन्होंने आगे कहा, "सरकार चाहे जो भी करे, मराठी लोगों की यह रैली जरूर होगी।"
मनसे के विरोध पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने क्या कहा?
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली गई रैली स्वीकृत मार्ग पर नहीं थी। इसलिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र एक लोकतांत्रिक राज्य है और यहां कोई भी विरोध कर सकता है, लेकिन उसके लिए पहले अनुमति लेनी पड़ती है।
पीटने की घटना और व्यापारी समुदाय की नाराजगी
दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब इस महीने की शुरुआत में मीरा-भायंदर इलाके में एक फूड स्टॉल मालिक को मनसे के कुछ कार्यकर्ताओं ने सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि वह मराठी में बात नहीं कर रहा था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद व्यापारी समुदाय में काफी नाराजगी है। व्यापारियों ने इस घटना के विरोध में शांतिपूर्ण रैली की योजना बनाई थी। मनसे ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया और विरोध में खुद रैली निकाली।
पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी इस पूरे मामले पर नाराजगी जताई। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "अगर कोई पार्टी मराठी न बोलने वाले लोगों की पिटाई करती है, तो हम उनका समर्थन नहीं करेंगे। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। अगर मराठी लोग दूसरे राज्यों में रहते हैं, तो क्या उन्हें भी पीटा जाएगा?" उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा, "जो कोई भी कानून अपने हाथ में लेता है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"