OTT कंटेंट को लेकर संसद में गरमाया माहौल, वीडियो में देखे कंगना रनौत, अरुण गोविल और रवि किशन ने एक सुर में उठाई आवाज
देश में बढ़ते OTT प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव और उनके कंटेंट पर हो रही लगातार आलोचना के बीच अब यह मुद्दा संसद के गलियारों में भी गूंजने लगा है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा OTT प्लेटफॉर्म्स को बैन या सख्त नियंत्रण में लाने की संभावना जताई गई, जिसके बाद मनोरंजन जगत से लेकर राजनैतिक गलियारों तक इस पर जोरदार बहस शुरू हो गई है। इस बहस में सबसे ज्यादा ध्यान खींचा तीन प्रमुख हस्तियों ने — कंगना रनौत, अरुण गोविल और रवि किशन।
कंगना रनौत ने कहा- "OTT पर परोसी जा रही गंदगी पर लगाम जरूरी"
सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने लोकसभा में अपनी राय रखते हुए कहा कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर आज जिस तरह का कंटेंट दिखाया जा रहा है, वह भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, “वेब सीरीज़ और फिल्मों में जबरन गालियाँ, अश्लीलता और हिंसा भरी जा रही है, जो युवा पीढ़ी को गलत दिशा में ले जा रही है। मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि इस पर कड़े नियम बनाए जाएं या आवश्यक हो तो इन्हें प्रतिबंधित किया जाए।” कंगना के इस बयान पर सदन में समर्थन के साथ-साथ विरोध भी देखने को मिला।
अरुण गोविल बोले – “रामायण दिखाने वाला देश अब अंधकार की ओर क्यों?”
रामायण में भगवान श्रीराम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता और अब सांसद बने अरुण गोविल ने बेहद भावुक होते हुए कहा कि भारत की परंपरा और संस्कृति को नष्ट करने का माध्यम बनते जा रहे हैं ये OTT प्लेटफॉर्म्स। उन्होंने संसद में कहा, “जिस देश ने रामायण, महाभारत जैसे धर्मिक और नैतिक मूल्य देने वाले धारावाहिक दिए, वह अब वेब सीरीज़ के ज़रिए अंधकार और नैतिक पतन की ओर बढ़ रहा है। सरकार को गंभीर कदम उठाना चाहिए।” अरुण गोविल की बातों को कई वरिष्ठ सांसदों ने भी समर्थन दिया।
रवि किशन ने मांगा कड़ा सेंसर सिस्टम
भोजपुरी फिल्म अभिनेता और बीजेपी सांसद रवि किशन ने भी संसद में खुलकर अपनी राय रखते हुए कहा कि, “OTT प्लेटफॉर्म्स पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। कोई कंट्रोल नहीं, कोई सेंसर नहीं। गालियाँ और अश्लील दृश्य आम बात हो गई है। युवाओं और बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि या तो सेंसर बोर्ड जैसी एक प्रणाली बनाई जाए या फिर ऐसे कंटेंट को पूरी तरह बैन किया जाए।” उन्होंने आगे कहा कि मनोरंजन के नाम पर समाज को नैतिक रूप से खोखला नहीं किया जा सकता।
सरकार ने कहा- बना रहे हैं निगरानी तंत्र
सरकारी सूत्रों की मानें तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस पूरे मामले पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह संभावना जताई जा रही है कि OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए एक नया नियामक ढांचा जल्द ही लागू किया जा सकता है, जो सेंसरशिप, आयु वर्ग निर्धारण और कंटेंट मॉडरेशन जैसे पहलुओं पर नियंत्रण रखेगा।