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बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग की सर्जिकल स्ट्राइक! 334 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द, जानिए क्या है वजह ?

 

चुनाव आयोग ने शनिवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों यानी आरयूपीपी का पंजीकरण रद्द कर दिया। इन दलों ने 2019 के बाद से एक भी चुनाव नहीं लड़ा था और न ही इनके कार्यालयों का कोई भौतिक पता मिल पाया था। ऐसे में ये दल पंजीकृत गैर-पंजीकृत राजनीतिक दल के रूप में बने रहने की अनिवार्य शर्तें पूरी नहीं करते थे। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आयोग के इस कदम को राजनीतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

आरयूपीपी क्या हैं और यह कार्रवाई क्यों की गई?
आरयूपीपी यानी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल वे राजनीतिक दल हैं जो चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय या राज्य स्तर की मान्यता नहीं मिली है। ये दल भारत में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं। पंजीकरण के बाद इन्हें कर छूट जैसे कुछ विशेष लाभ मिलते हैं। देश में कुल 2,854 आरयूपीपी थे, जिनमें से चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद अब 2,520 ही बचे हैं।चुनाव आयोग ने इन 334 दलों को इसलिए हटा दिया क्योंकि इन्होंने 2019 से लोकसभा, विधानसभा या उपचुनावों में भाग नहीं लिया था। इन दलों के कार्यालयों का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं पाया गया। आयोग ने जब जाँच की, तो ये दल केवल कागज़ों तक ही सीमित थे। कुछ आरयूपीपी पहले भी आयकर नियमों और धन शोधन विरोधी कानूनों का उल्लंघन करते पाए गए थे।

पंजीकरण रद्द करने के नियम क्या हैं?

चुनाव आयोग को पहले सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों की 'मान्यता रद्द' करने से रोका था, क्योंकि कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन आयोग ने 'डीलिस्टिंग' का एक तरीका खोज निकाला। डीलिस्टिंग का अर्थ है कि इन दलों को पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया गया है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A और चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के तहत, यदि कोई पंजीकृत दल लगातार 6 वर्षों तक लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनावों में भाग नहीं लेता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। हालाँकि, ये दल बिना किसी नई मान्यता प्रक्रिया के पुनः पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

देश में अब कितने राजनीतिक दल बचे हैं?

देश में अब 6 राष्ट्रीय दल, 67 राज्य स्तरीय दल और 2,520 आरयूपीपी बचे हैं। आयोग 2001 से अब तक 3-4 बार ऐसी सफ़ाई कर चुका है। इस बार जून 2025 में 345 दलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की गई, जिनमें से 334 का पंजीकरण रद्द कर दिया गया। सूची से बाहर की गईं पार्टियाँ अब चुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतार पाएँगी। बिहार चुनाव से पहले यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राजनीतिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और फ़र्ज़ी दलों पर लगाम लगेगी। दरअसल, ऐसी पार्टियाँ अक्सर सिर्फ़ कागज़ों पर ही होती हैं और कर छूट, मनी लॉन्ड्रिंग या अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकती हैं।