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शोधकर्ताओं ने बताया साइबर बुलिंग से डिप्रेशन का खतरा तेजी से बढ़ता

 

जयपुर।बढती टेक्नोलॉजी के साथ ही अनेक प्रकार के खतरो के भी बढ़ने की संभावना बनी होती है।इसी के चलते हाल ही में बढ़ी साइबर बुलिंग पर शोधकर्ताओं ने बताया है कि साइबर बुलिंग का शिकार हुए बच्चों में दूसरों के मुकाबले मानसिक आघात और डिप्रेशन का खतरा ज्यादा गंभीर बना होता है।शोधकर्ताओं ने बताया है कि साइबर बुलिंग बच्चों में मानसिक तनाव को बढ़ावा देता है।इस नए शोध के बारे में जर्नल ऑफ क्लीनिकल साइकेट्री में प्रकाशित शोध के नतीजों के बारे में

जानकारी देते हुए इस शोध की सह लेखक और मियामी मिलर स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता डॉ. फिलिप डी हार्वे ने बताया है कि मानसिक तनाव की समस्याओं से घिरे बच्चों में भी साइबर बुलिंग के दुष्प्रभाव साफ तौर पर दिखाई देते है और इसका आकलन किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बात की भी जानकारी दी है कि दूसरे अपराधों की तुलना में साइबर बुलिंग ज्यादा खतरनाक बना हुआ है क्योंकि बच्चे आसानी इसका शिकार हो जाते है।शोधकर्ताओं का मानना है कि साइबर बुलिंग का सबसे खतरनाक तरीका वह होता है जिसमें इंसान पर व्यक्तिगत हमले किए जाते है और जिससे कि वह बुरा महसूस करता है।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस बात को स्पष्ट किया कि केवल सोशल मीडिया पर लगातार बने रहने से साइबर बुलिंग का खतरा नहीं बढ़ता है।शोधकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन न्यूयॉर्क में वेस्टचेस्टर काउंटी के एक मानसिक अस्पताल में वहां पर साइबर बुलिंग के शिकार लोगो पर किया था।

जिसमें आधे लोगों को मैसेज भेजकर तो बाकी को फेसबुक पर प्रताड़ित करने के कारण और इंस्टाग्राम और चैट रूम में तस्वीरें और वीडियो को वायरल करने से साइबर बुलिंग का शिकार बनाया है।

न्यूयॉर्क में वेस्टचेस्टर काउंटी के एक मानसिक अस्पताल में साइबर बुलिंग को लेकर किए गए अपने एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि साइबर बुलिंग का शिकार हुए बच्चों में दूसरों के मुकाबले मानसिक आघात और डिप्रेशन का खतरा ज्यादा गंभीर बना होता है। इन लोगों को मैसेज भेजकर या सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो को वायरल करने से साइबर बुलिंग का शिकार बनाया है। शोधकर्ताओं ने बताया साइबर बुलिंग से डिप्रेशन का खतरा तेजी से बढ़ता