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Karnataka New IT policy : Tech Firms अब Co-working Space में करेंगे बदलाव

 

हाल ही में बेंगलुरु, कर्नाटक में गुरुवार को नई आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं (ITeS) के लिए एक नई नीति की घोषणा हुई हैं । छोटी प्रौद्योगिकियों वाले उत्पाद और सेवा फर्मों में पूंजी बेंगलुरु से दूर दुकान तक स्थापित होने के साथ – साथ प्रोत्साहन का एक बड़ा हिस्सा भी प्रदान करती है। नीति के अंतर्गत टियर- II और टियर- III शहरों में डिजिटलिकरण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है और रीमोट एवं फ़ैलें हुए श्रम को सक्षम करने को सबसे मुख्य ध्यान देने वाला क्षेत्र माना जा रहा है।

बेंगलुरु दुनिया का चौथा सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में जाना जाता है। वैश्विक आईटी कंपनियों की बात करें तो हर पाँच में से चार के कर्नाटक और भारत में अपने संचालन और आरएंडडी केंद्र स्थापित हैं। उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने अपने एक बयान में बताया है की, ” हम टीयर II और टियर III शहरों में प्रौद्योगिकी निवेश को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य बनाए हुए हैं , साथ ही हम लगभग 60 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों की शुरुआत के लिए पूरी तरह से अपनी क्षमता के उच्चयतम स्तर पर कार्य कर रहें हैं।”

यदि हम बात करते हैं , सामने आई इस नई नीति के नियमित क्षेत्रों की तो , कोरोना के बाद से ही हर क्षेत्र चाहे वह कोई सा भी हो। अपनी आर्थिक और व्यापारिक नीतियों को मजबूट करना चाह रहा है। इनकी यह सभी नीति 15,000 वर्ग फुट के न्यूनतम निर्मित क्षेत्र के साथ – साथ यह कार्यशील स्थानों पर डेवलपर्स के लिए 2 करोड़ रुपये तक के नकद समर्थन को प्रदान किए जाने पर कार्य किया जा रहा है।

प्लग एंड प्ले सुविधाओं में टेक कंपनियों की स्थापना करने वालों को 10 रुपये प्रति वर्ग फुट या बात करें तो एक साल तक के लिए 3 लाख रुपये तक का किराया और किराये पूर्ति मिलने के संकेत सरकार की तरफ से देखें जा रहें हैं । हाल के समय में वह उद्योग जो भारत के बाहर कार्य को मजबूत करना चाह रहें हैं , $ 1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था को बनाने के लिए केंद्र के साथ अपने लक्ष्यों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

कर्नाटक में आने वाले अगले पांच वर्षों में  फिलहाल कम से कम 300 बिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा गया है। आईटी पॉलिसी के तहत निवेश करने पर प्रस्तावित परियोजना के तहत इसके आधार पर 75% से 100% के बीच ड्यूटीदर में छूट मिलने और साथ ही मगर निवेशकों को रियायती बिजली शुल्क का भुगतान भी करना होगा।हालाकीं सरकार अनुसंधान और विकास पहलों के लिए 1 करोड़ रुपये तक का समर्थन प्रदान करेगी और गुणवत्ता प्रमाणन और पेटेंट करवाने के लिए लागत शुल्क की प्रतिपूर्ति भी करने वाली है।