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महिला नागा साधू अपने साथ वो करती है जो आप सोच भी नहीं सकते

 

जयपुर। भारत एक ऐसा देश हैं जहां तमाम तरह की परंपराएं मौजूद हैं। यहीं नहीं वह अपनी संस्कृति के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है । हालांकि इस मामले में कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं जो बहुत ही चौंका देने वाली हैं। हम यहां महिला नागा साधु बनने की परंपरा से रूबरू करवाने जो रहे हैं जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी।  आज हमारे समाज में ऐसे भी लोग है जिन्होंने इसके बारे में बेहद ही गलत धारणा रखते हैं, कुछ लोगों का तो ऐसा भी मानना है की महिला नागा साधू जैसा कुछ भी नहीं होता पर आज हम आपको यहाँ पर इस विचित्र परंपरा के बारे में बताने वाले है।

 बता दें की एक महिला नागा साधु बनने के लिए करीब 6 से 12 साल का कठिन ब्रम्हचर्य का अनुशरण करना होता है। यही नहीं कहा जाता है कि जो महिला साधु बनना चाहत है उसे खासतौर से अपने गुरु को विश्वास दिलाना होता है कि वो ब्रम्हचर्य का पालन कर सकती है।

 फिर उसके बाद उसका गुरु अपनी शिष्य का नागा साधु की दीक्षा देता है। बता दे की इसमें एक बड़ी चकित कर देने वाली बात ये है कि हमारे हिंदू परंपरा में किसी इंसान के मरने के बाद पिंडदान किया जाता है । पर महिला साधू बनने से पहले उस महिला को अपना खुद का पिंडदान करना पड़ता है ।

 यही नहीं पिंडदान के बाद महिला नागा साधु को अपने सिर का मुंडन करवाना होता हैं और इस प्रक्रिया के बाद नदी में स्नान करना होता है । उस महिला को अपने सबसे कठिन कार्य के यानि की अपने परिवार का मोह त्याग होना होता है । इसके साथ ही बता दें की पुरुष नागा साधु हमेशा नग्न रहते हैं पर महिला साधु को पीला वस्त्र धारण करना होती है ।