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वरुथिनी एकादशी व्रत 18 अप्रैल को, जानिए श्री विष्णु के वराह अवतार की पूजा का महत्व

 

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं इस बार यह एकादशी का व्रत 18 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रहा हैं वरुथिनी एकादशी की पूजा करने से श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं वही मान्यताओं के मुताबिक वरु​​थिनी एकादशी में भगवान विष्णु के वाराह अवतार की पूजा आराधना की जाती हैं। तो आज हम आपको इस व्रत के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

कथा अनुसार प्राचीन समय में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता नाम के राजा रहते थे। रामा एक बाद तपस्या में लीन थे, तभी एक भालू ने उनका पैर चबा लिया और राजा को जंगल की ओर खींचकर ले गया। तब राजा ने विष्णु जी से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने अपने चक्र से भालू को मार दिया। राजा का पैरा भालू ने नोचकर खा लिया था। राजा को दुखी देखकर भगवान श्री हरि विष्णु ने कहा कि ये तुम्हारे पूर्व जन्म का पाप हैं जिसकी सजा तुम्हें इस जन्म में भुगतनी पड़ रही हैं। राजा ने इससे मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो भगवान विष्णु ने कहा राजन, तुम मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा और वरुथिनी एकादशी का व्रत करों। इससे तुम्हारे सभी पाप कट जाएंगे और व्रत के प्रभाव से दोबारा अंगों वाले हो जाओगे। वही इसके बाद राजा ने वरुथिनी एकादशी का व्रत धारण किया तो उनका पैर फिर से ठीक हो गया। वरुथिनी एकादशी में व्रत करने से बच्चे दीर्घायु होते हैं यानी उनकी उम्र बढ़ती हैं उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती हैं दुर्घटना से सुरक्षित रहने के लिए भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता हैं माना जाता हैं कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से विष्णु के साथ लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं जिससे धन लाभ और सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।