वरद चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व होता हैं माह में दो बार चतुर्थी व्रत किया जाता हैं कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकटा और शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता हैं इस बार माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 28 जनवरी यानी आज मनाई जा रही हैं इसे वरद, विनायक या तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता हैं
महाराष्ट्र और तमिलनाडु में शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर व्रत करने की परंपरा हैं इस दिन व्रत के साथ श्री गणेश की आराधना की जाती हैं शिव पुराण के मुताबिक आज ही के दिन भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न में हुआ था। इसलिए यहां दोपहर में श्री गणेश पूजन किया जाता हैं इन क्षेत्रों के अलावा उत्तरी भारत के कई भागों में भी ये व्रत किया जाता हैं मगर यहां शाम को गणेश पूजन के बाद चंद्र पूजन और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलने की विशेष परंपरा हैं।
जानिए पूजन विधि—
विनायक चतुर्थी में श्री गणेश का नाम लेकर ही व्रत शुरु किया जाता हैं इस दिन केवल फल जड़ वनस्पति का सेवन किया जाता हैं। वही व्रत में गणेश पूजन के बाद चंद्र दर्शन करें और उसके बाद ही व्रत खोलें। इस व्रत के बारे में ग्रंथों में लिखा हैं कि अगर इस दिन विधि विधान से गणेश पूजन किया जाता हैं, तो गणेश जी हर तरह के संकट हर लेते हैं।