Kaal bhairava puja: क्यों भैरव के बिना अधूरी है माता रानी की पूजा, जानिए यहां
हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार को बहुत ही खास माना जाता हैं। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता हैं इस दिन नौ कन्याओं के पूजन के साथ काल भैरव के बाल स्वरूप की पूजा भी हाती हैं
यहां पढ़ें जन्म कथा—
मान्यताओं के मुताबिक एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बची अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। जिसे सुलझाने के लिए तीनों लोकों के देव ऋषि मुनि के पास पहुंचे। ऋषि मुनि विचार विमर्श कर बताया कि शिव ही सबसे श्रेष्ठ हैं। यह बात सुनकर ब्रह्मा जी क्रोधित हो गए और उन्होंने शिव के सम्मान को ठेस पहुंचाना शुरू किया। ये देखकर शिव क्रोध में आ गए। शिव का ऐसा स्वरूप देखकर सभी देवी देवता घबरा गए। ऐसा कहा जाता हैं कि शिव के इसी क्रोध से ही काल भैरव का जन्म हुआ था। भैरव का स्वरूप भयानक जरूर हैं मगर सच्चे मन से जो लोग इनकी पूजा करते हैं उसकी सुरक्षा का भार वे स्वयं उठाते हैं।