×

महर्षि दयानंद ने धार्मिक चिंतन से लड़ी थी आजादी की लड़ाई

 

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ही वेदों की ओर लौटो कहा था। इस साल यह तिथि 18 फरवरी को पड़ रही हैं वही भारतीय समाज में उत्थान और जागृति के लिए उन्होंने कई कदम उठाए थे। भारत की आजादी में भी दयानंद सरस्वती जी की अहम भूमिका रही। वेदों से स्वतंत्र चिंतन शक्ति पाने वाले उदारचेता दयानंद जी ने अपनी मातृभूमि को पराधीनता में जकड़ा देखकर चुप रहें, ये संभव न था। 1857 की क्रांति को दबाकर अंग्रेज सरकार ने भारतीय जन मानस के धार्मिक घावों पर मरहम लगाने के लिए एक घोषणा की थी। वही महारानी विक्टोरिया ने कहा था, हम चेतावनी देते हैं कि अगर किसी ने हमारी प्रजा के धार्मिक विश्वारों पर, पूजा पद्धति में हस्तक्षेप किया तो उसे हमारे तीव्र कोप का शिकार होना पड़ेगा। इस लोग लुभावनी घोषणा के अंतर्निहित भावों को समझ कर उसका प्रतिकार करते हुए ऋषि दयानंद सत्यार्थ प्रकाश में घोषणा करते हैं मतमतांतरों के आग्रह से रहित, अपने पराए का पक्षपात शून्य, प्रजा पर माता पिता के समान कृपा, न्याय और दया के साथ भी विदेशियों का राज पूर्ण सुखदायक नहीं हैं।

वही जीवन के हर क्षेत्र में स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति देने वाले संन्यासी द्वारा देश की स्वतंत्रता का यह शंखनाद ही आगे चलकर भारत के जन मन में गूंजने लगा। स्वाधीनता के इतिहास में जितने भी आंदोलन हुए उनके बीज स्वामी जी अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के माध्यम से डाल गए थे।

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था। इस साल यह तिथि 18 फरवरी को पड़ रही हैं वही भारतीय समाज में उत्थान और जागृति के लिए उन्होंने कई कदम उठाए थे। भारत की आजादी में भी दयानंद सरस्वती जी की अहम भूमिका रही। स्वामी दयानंद ने ही वेदों की ओर लौट चलों कहा था। महर्षि दयानंद ने धार्मिक चिंतन से लड़ी थी आजादी की लड़ाई