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Makar sankranti 2021: मकर संक्रांति पर सूर्य होंगे उत्तरायण, प्रयाग में सभी तीर्थों का होगा महाकुंभ

 

साल 2021 में 14 जनवरी की सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर भगवान सूर्य दक्षिणायन की यात्रा समाप्त करके उत्तरायण की राशि मकर में प्रवेश करने वाले हैं जिसके फलस्वरूप देवताओं के दिन का शुभारंभ हो जाएगा। इस दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य, यज्ञोपवीत, मुंडन, विवाह, गृहप्रवेश आदि आरम्भ हो जाएंगे। जो देव प्राण शक्तिहीन हो गए थे उनमें फिर से नई शक्ति का संचार हो जाएगा और वे अपने भक्तों साधकों को यथोचित फल प्रदान करने में सफल होंगे।

वही माघ मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश काल के समय जब सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है तो तीनों लोकों में प्रतिष्ठित गंगा, युमना और सरस्वती के पावन संगम तट त्रिवेणी पर साठ हजार तीर्थ और साठ करोड़ नदियां, सभी देवी देवता, यज्ञ, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि तीर्थराज प्रयोग में एकत्रित होकर गंगा यमुना सरस्वती के पावन संगम तट पर स्नान, जप तप, और दान पुण्य कर अपना जीवन धन्य करते हैं तभी इसे तीर्थों का कुंभ भी कहा जाता हैं मत्स्य पुराण के मुताबिक यहां की एक महीने की तपस्या परलोक में एक कल्प तक निवास का अवसर देती हैं इसलिए यहां भक्तजन कल्पवास भी करते हैं। प्रयाग तीर्थ की महिमा का वर्णन करते हुए तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि माघ मकर रबिगत जब होई। तीरथपति आवहिं सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेंणी। सादर मज्जहिं सकल त्रिवेंणी।| एहि प्रकार भरि माघ नहाहीं। पुनि सब निज-निज आश्रम जाहीं।।

यानी माघ महीने में मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर सभी तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगम तट पर मास पर्यंत वास करते हुए स्नान ध्यान तपादि करते हैं वैसे तो प्राणी इस महीने में किसी भी तीर्थं, नदी और समुद्र में स्नान कर दान पुण्य करके त्रिबिध तापों से मुक्ति पा सकता हैं मगर प्रयागतीर्थ के मध्य देव संगम का फल सभी कष्टों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष देने में सक्षम होता हैं।