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पीलिया जांच की नई तकनीक का विकास, रोशनी के जरिए रोग का पता लगाना आसान

 

जयपुर।आज के समय में गलत खानपान और बदली लाइफस्टाइल के चलते हमारा शरीर कई प्रकार के रोगों का शिकार आसानी हो जाता है।ऐसे में नवजात शिशुओं में पीलिया रोग का खतरा सबसे ज्यादा बना हुआ है।क्योंकि प्री-मैच्योर्ड डिलीवरी या समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में पीलिया रोग की संभावना अधिक रहती है, जिसका ब्लड जांच के बाद पता लगाया जाता है।

लेकिन अब शोधकर्ताओं ने पीलिया जांच के लिए एक ऐसी तकनीक का विकास किया गया है, जो शिशु के नाखून पर प्रकाश की विशेष किरणें डाल कर ही पीलिया रोग का पता लगा सकते है।हमारे शरीर में लिवर की कमजोरी के कारण पीलिया रोग होता है।

हमारे लिवर बिलीरुबिन हीमोग्लोबिन के अपघटन के दौरान बनता है।जिसका रंग पीला होता है और लिवर इसे पित्तरस के साथ पाचनतंत्र तक पहुंचाता है।जहां से यह हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।लेकिन लिवर में कमजोरी होने के कारण शरीर से बिलीरुबिन बाहर नहीं निकल पाता है और इसकी मात्रा बढ़ती जाती है।

जिसके कारण हमारे शरीर में पीलिया रोग उत्पन्न हो जाता है।इससे हमारी आंखों, त्वचा और नाखूनों का रंग पीला दिखाई देने लगता है।ऐसे में अब कोलकाता स्थित एसएन बोस नेशनल सेंटर फार बेसिक साइंसेज के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण को बनाया है

जो स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक पर आधारित है और इस उपकरण से निकलने वाली रोशनी बच्चे के नाखूनों से होकर वापस लौटती है और कुछ देर में ही ब्लड में बिलीरुबिन के स्तर की सटीक जानकारी बता देती है।जिससे पीलिया रोग को शरीर में बढ़ने से पहले ही उपचार किया जा सकता है।