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Durga saptashati path : नवरात्रि के नौ दिन करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, आर्थिक तंगी की समस्या होगी दूर

 

शक्ति की साधना और आराधना का महापर्व नवरात्रि 13 अप्रैल दिन मंगलवार यानी कल से आरंभ होने जा रहा हैं नवरात्रि पर्व नवसंवत्सर के प्रथम दिन से ही शुरु हो जाता हैं नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती हैं। लेकिन माता एकाकार हैं एक ही हैं अलग अलग नहीं, स्वयं देवी मां ने कहा ​है कि एकै वाहं जगत्यत्र द्वितीया का ममापरा। यानी इस संसार में एक मैं ही हूं। दूसरी और कोई नहीं। सभी चराचर जगत जड़ चेतन, दृश्य-अदृश्य रूपों में मै ही हूं। मत्तः प्रकृति पुरुषात्मकमजगत। प्रकृति और पुरुष मेरे द्वारा ही उत्पन्न हुए हैं एकैव माया परमेश्वरस्य स्वकार्यभेदा भवती चतुर्धा । भोगे भवानी, समरे च दुर्गा, क्रोधे च काली, पुरुषे च विष्णुः ।।

उस परब्रह्मा की एक ही माया है जो कार्य भेद से चार अलग अलग रूपों में विराजती हैं। उत्पत्ति के अर्थ में भवानी, युद्ध क्षेत्र में दुर्गा, क्रोध के समय काली और पुरुष रूप में विष्णु बन जाती हैं भगवान वेदव्यास द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत दुर्गा सप्तशती शक्ति माहात्म्य प्रदर्शक एक भाग हैं जिसमें उपासना और साधना के उपाय आदि का सम्यक निरूपण किया गया हैं यह माता शक्ति के ​विभिन्न रूपों और कार्यों को दर्शाती हैं। यह सप्तशती धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाली कर्म, भक्ति, ज्ञान, वेद वेदान्त और तत्व की दर्शिका हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ अभीष्ट कार्य सिद्धि, धन प्राप्ति, अभय प्राप्ति और त्रिबिध तापों से मुक्ति प्रदान करने वाला हैं इसमें देवी मां के तीन चरित्र प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र का वर्णन किया गया हैं।