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'जेल से पहले जहन्नुम भेज देंगे' यूपी में ताबड़तोड़ एनकाउंटर — ऑपरेशन 'लंगड़ा' व 'खल्लास' में 48 घंटे में 20 मुठभेड़

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'क्राइम फ्री यूपी' अभियान के तहत राज्य पुलिस ने हाल के 48 घंटों में दो बड़े अभियान — ऑपरेशन लंगड़ा और ऑपरेशन खल्लास — चला कर तेजी से कार्रवाई की। पुलिस ने विभिन्न जिलों में एक सक्रिय मोर्चा खोलते हुए कुल 20 से अधिक एनकाउंटर किए जाने की जानकारी दी है। 

सीएम योगी ने इन कार्रवाइयों का हवाला देते हुए सख्त लहजे में कहा: “सुधर जाओ, भाई — सुधरोगे नहीं तो गफलत में मत रहना कि जेल जाएंगे; जेल के पहले जहन्नुम पहुंचा देंगे।” उनके इस बयान को राज्य सरकार और पुलिस का स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। 

पुलिस सूत्रों ने बताया कि ये ऑपरेशन समन्वित रूप से कई जिलों में चलाए गए — मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, नोएडा, लखनऊ, गाजियाबाद, मीरात और अन्य स्थानों पर कार्रवाई हुई। अधिकारियों के मुताबिक अभियान का लक्ष्य ऐसे अभियुक्तों और गिरोहों को निशाना बनाना था जिन पर लूट, डकैती, हत्या और अन्य संगठित अपराधिक गतिविधियों के मामले दर्ज हैं।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/AHwhbCDuf6A?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/AHwhbCDuf6A/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="UP Encounter News : यूपी में एक और एनकाउंटर! | UP Police | CM Yogi | Operation Langda | #shorts" width="315">

राज्य पुलिस ने बताया कि कुछ मुठभेड़ों में कुख्यात इनामी अभियुक्त भी मारे गए या घायल हुए; कई जगहों से हथियार और लूट का सामान बरामद होने की भी रिपोर्ट आई है। अधिकारियों का दावा है कि यह कार्रवाई अपराधियों को हतोत्साहित करने और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई।

वहीं, मीडिया कवरेज और स्थानीय स्रोतों के अनुसार मुठभेड़ों के समय पुलिस और अभियुक्तों के बीच तीव्र गोलीबारी भी हुई; कुछ मुठभेड़ों में पुलिसकर्मी भी घायल हुए। राज्य स्तर पर यह अभियान मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी के रूप में चलाया जा रहा है। 

कानूनी और मानवाधिकार पहलुओं पर समुदाय में चर्चा तेज हो रही है — जहां एक ओर सुरक्षा की मांग करने वाले लोग कार्रवाई का स्वागत कर रहे हैं, वहीं मानवाधिकार समूह और कुछ नागरिक आवाज़ उठा रहे हैं कि हर घटना की पारदर्शी जांच और फोरेंसिक प्रक्रिया सुनिश्चित होनी चाहिए। मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि ऐसी बड़ी और त्वरित कार्रवाइयों के परिणामों का ऑडिट ज़रूरी है। (इन बिंदुओं पर विस्तृत बातचीत और आधिकारिक बयानों के लिये अलग से रिपोर्टिंग की आवश्यकता होगी.) 

पुलिस और राज्य प्रशासन ने जनता से शांति बनाए रखने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत नज़दीकी थाना या पुलिस कंट्रोल रूम को देने की अपील की है। साथ ही कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में अभियान चला है वहां अतिरिक्त सुरक्षा और पेट्रोलिंग जारी रहेगी। 

क्या आगे होगा?
मुख्यमंत्री के निर्देशों और पुलिस की वर्तमान कार्रवाई के देखते हुए अगले कुछ दिनों में और भी रेड तथा गिरफ्तारी-आधारित अभियान जारी रहने की संभावना बताई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार लंबी अवधि में अपराध नियंत्रण के लिए कानून-व्यवस्था के साथ-साथ अपराध की जड़ें (सामाजिक-आर्थिक कारण, नशा, बिके हुए हथियार) भी कम करने होंगे — वरना सिर्फ़ जबरदस्त पुलिस कार्रवाइयाँ अस्थायी असर ही छोड़ सकती हैं।