विदेशों में भारतीय विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की संभावनाओं पर हुई चर्चा, नीति आयोग की रिपोर्ट जारी
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नीति आयोग ने भारत में उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत में उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण: संभावनाएं, अवसर और नीतिगत सिफारिशें शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है।
यह रिपोर्ट सोमवार को नीति आयोग के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा लॉन्च की गई। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सदस्य (शिक्षा) डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी, सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी और एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो सीताराम मौजूद रहे।
यह रिपोर्ट नीति आयोग और आईआईटी मद्रास के नेतृत्व वाले ज्ञान साझेदारों के सहयोग से तैयार की गई है। इसे ग्लोबल साउथ की एक अग्रणी रिपोर्ट माना जा रहा है। रिपोर्ट का मुख्य फोकस नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित 'इंटरनेशनलाइजेशन एट होम' की अवधारणा पर है।
इसमें वैश्विक, राष्ट्रीय और संस्थागत स्तर पर उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के तरीकों का विश्लेषण किया गया है। साथ ही पिछले 20 वर्षों में छात्रों और शिक्षकों की अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही के रुझानों का भी अध्ययन किया गया है।
रिपोर्ट में छात्रों और फैकल्टी की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही बढ़ाने, वैश्विक शैक्षणिक और शोध सहयोग को मजबूत करने तथा भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के ब्रांच कैंपस और विदेशों में भारतीय विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।
यह रिपोर्ट व्यापक गुणात्मक और मात्रात्मक अध्ययन पर आधारित है। इसके लिए देश के 24 राज्यों के 160 उच्च शिक्षण संस्थानों से 100 से अधिक सवालों वाले सर्वे के जवाब लिए गए। इसके अलावा, आईआईटी मद्रास में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में 140 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के विचार और अनुभव शामिल किए गए। रिपोर्ट तैयार करते समय 16 देशों के 30 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ की-इन्फॉर्मेंट इंटरव्यू भी किए गए, जिससे वैश्विक दृष्टिकोण को मजबूती मिली।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के पीछे व्यावसायिक और कूटनीतिक, दोनों तरह का मजबूत आधार है। यह भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन सकता है।
डॉ. वीके पॉल ने रिपोर्ट को एनईपी के क्रियान्वयन और विकसित भारत 2047 के विजन से जोड़ते हुए कहा कि भारत को वर्ष 2030 तक केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में एक लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि भारत में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र भविष्य में भारत और दुनिया दोनों के विकास में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने भारत के डॉक्टोरल कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण कई सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इससे पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता सुधरेगी, विदेशी मुद्रा के बाहर जाने में कमी आएगी और शोध सहयोग के नए अवसर खुलेंगे।
उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका, 3.5 करोड़ मजबूत भारतीय प्रवासी समुदाय (डायस्पोरा) की ताकत और सरकार द्वारा नियमों को सरल बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
उच्च शिक्षा सचिव डॉ. विनीत जोशी ने कहा कि भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने के लिए सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने बताया कि यूजीसी नियमों की वजह से अब तक करीब 13 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय भारत आए हैं। वहीं एआईसीटीई चेयरमैन प्रो. सीताराम ने कहा कि भारत को ग्लोबल साउथ के छात्रों के लिए एक टैलेंट मैग्नेट बनना चाहिए।
यह रिपोर्ट 22 नीतिगत सिफारिशें, 76 एक्शन पाथवे, 125 परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स और लगभग 30 भारतीय व वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रस्तुत करती है। इनका उद्देश्य 2047 तक भारत को उच्च शिक्षा और शोध का वैश्विक केंद्र बनाना है।
--आईएएनएस
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