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यूपी : सीबीआई ने सीजीएसटी रिश्वतखोरी रैकेट का भंडाफोड़ किया, आईआरएस डिप्टी कमिश्नर समेत 5 गिरफ्तार

 

झांसी, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर प्रदेश के झांसी में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (सीजीएसटी) कार्यालय में चल रहे बड़े रिश्वतखोरी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। मंगलवार को चलाए गए ट्रैप ऑपरेशन में एक आईआरएस अधिकारी (डिप्टी कमिश्नर, 2016 बैच), दो सुपरिटेंडेंट, एक वकील और एक प्राइवेट कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया गया है।

सीबीआई ने 30 दिसंबर को ही मामला दर्ज किया था। आरोप है कि डिप्टी कमिश्नर (प्रभा भंडारी) ने अपने अधीनस्थों के माध्यम से जीएसटी चोरी के मामलों में निजी फर्मों को फायदा पहुंचाने के बदले 1.5 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ मांगा था। ट्रैप के दौरान डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर दो सुपरिटेंडेंट (अजय कुमार शर्मा और अनिल कुमार तिवारी) को 70 लाख रुपए नकद लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यह रकम एक प्राइवेट कंपनी (जय अंबे प्लाईवुड/जय दुर्गा हार्डवेयर) के मालिक राजेंद्र कुमार मंगतानी से ली जा रही थी। गिरफ्तार अन्य आरोपियों में जीएसटी वकील नरेश कुमार गुप्ता भी शामिल हैं।

ट्रैप सफल होने के बाद सीबीआई ने आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की। शुरुआती तलाशी में 90 लाख रुपए नकद, संपत्ति के दस्तावेज, भारी मात्रा में आभूषण और सोना बरामद हुआ। अब तक कुल 1.60 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए हैं। छापेमारी और जांच अभी जारी है, जिसमें और अधिक संपत्तियां जब्त होने की संभावना है।

सीबीआई के अनुसार, यह संगठित रिश्वतखोरी का मामला है, जहां जीएसटी जांच और सेटलमेंट में फर्जी तरीके से लाभ पहुंचाया जा रहा था। गिरफ्तार आईआरएस अधिकारी डिप्टी कमिश्नर के तौर पर सीजीएसटी झांसी में तैनात थे। आरोपियों को मेडिकल जांच के बाद संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा।

यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा मानी जा रही है। जीएसटी विभाग में रिश्वतखोरी के ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन इतनी बड़ी रकम (70 लाख एक बार में) के साथ आईआरएस स्तर के अधिकारी की गिरफ्तारी ने विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सीबीआई ने कहा है कि जांच आगे बढ़ रही है और अन्य संलिप्त लोगों को भी शिकंजे में लिया जाएगा।

--आईएएनएस

एससीएच