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आठ दशक से लोगों के लिए पहेली बनी हुई है ये परछाईं, कोई नहीं जान पाया इसका रहस्य

 

1945 में, अमेरिकन मिलिट्री ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एटम बम गिराए थे। इस हमले में लाखों लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे। हिरोशिमा वह पहली जगह थी जहाँ अमेरिका ने बम गिराया था। आज भी वहाँ एक इंसान जैसी परछाई देखी जा सकती है, और यह पिछले 75 सालों से दिखाई दे रही है। इसका रहस्य कोई नहीं सुलझा पाया है। इस परछाई को "हिरोशिमा स्टेप्स शैडो" या "हिरोशिमा की परछाई" के नाम से जाना जाता है।

गौर करने वाली बात है कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान, जब हिरोशिमा पर एटम बम गिराया गया था, तो एक ही पल में लाखों लोग मारे गए थे। परछाई की यह तस्वीर धमाके वाली जगह से 850 फीट दूर ली गई थी, जहाँ एक आदमी बैठा था। कहा जाता है कि एटम बम की ज़बरदस्त ताकत की वजह से वह आदमी गायब हो गया था। हालाँकि, एटम बम भी उसकी परछाई को मिटा नहीं सका। इस परछाई और वहाँ बैठे इंसान की पहचान कभी नहीं हो पाई। यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है।

एक अंदाज़े के मुताबिक, हिरोशिमा में हुए एटम धमाके में करीब 140,000 लोग मारे गए थे। धमाके से बहुत ज़्यादा एनर्जी निकली, और कहा जाता है कि सिर्फ़ गर्मी से ही करीब 60,000 से 80,000 लोग मारे गए थे। बाद में रेडिएशन से जुड़ी बीमारियों की वजह से हज़ारों और लोग मारे गए। हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम का नाम "लिटिल बॉय" था, और उसका वज़न करीब 4,400 किलोग्राम था।

कहा जाता है कि इस बम के धमाके से ज़मीन पर करीब 4,000 डिग्री सेल्सियस गर्मी पैदा हुई थी। अगर इंसान 50 से 55 डिग्री सेल्सियस का टेम्परेचर भी बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो वे 4,000 डिग्री सेल्सियस कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? इस गर्मी से लोग जलकर राख हो गए थे।