भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी, वीडियो में समझें 5 साल में करीब 9 लाख ने छोड़ी नागरिकता
भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में बीते कुछ वर्षों के दौरान लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विदेश मंत्रालय ने संसद को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले पांच वर्षों में करीब 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। राज्यसभा में इस संबंध में जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि वर्ष 2011 से 2024 के बीच लगभग 21 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 के बाद भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में तेज उछाल देखने को मिला है। कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020 में यह आंकड़ा घटकर लगभग 85 हजार रह गया था, लेकिन महामारी के बाद स्थिति में बड़ा बदलाव आया। इसके बाद नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या बढ़कर सालाना करीब 2 लाख के आसपास पहुंच गई। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशों में बेहतर रोजगार के अवसर, शिक्षा, जीवन स्तर और स्थायी बसावट की संभावनाएं इस बढ़ोतरी के प्रमुख कारण हैं।
विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि भारत का कानून दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता, इसलिए विदेश की नागरिकता अपनाने वाले भारतीयों को अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय देश भारतीयों के लिए प्रमुख गंतव्य बने हुए हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग बस रहे हैं।
इस बीच सरकार ने विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी संसद को अहम जानकारी दी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि पिछले तीन वर्षों में सुरक्षा कारणों से मिडिल ईस्ट के देशों से कुल 5,945 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया। इनमें इजराइल से चलाया गया ‘ऑपरेशन अजय’ और ईरान-इजराइल संघर्ष के दौरान किया गया ‘ऑपरेशन सिंधु’ शामिल है। इन अभियानों के तहत संकटग्रस्त क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया।
इसके अलावा विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि हाल ही में कुवैत में हुए अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीय नागरिकों के शवों को भारत लाया गया। सरकार ने इन मामलों में पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
नागरिकता छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या भारत के लिए एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक संकेत भी है। जहां एक ओर यह वैश्विक स्तर पर भारतीयों की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर ‘ब्रेन ड्रेन’ यानी प्रतिभाओं के विदेश जाने की चिंता भी बढ़ा रहा है। सरकार की ओर से प्रवासी भारतीयों से जुड़ी नीतियों को मजबूत करने और देश में ही बेहतर अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।
संसद में पेश किए गए ये आंकड़े न केवल भारतीय प्रवासन की बदलती तस्वीर को सामने लाते हैं, बल्कि वैश्विक अस्थिरता के बीच विदेशों में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर सरकार की भूमिका को भी रेखांकित करते हैं।