छांगुर बाबा की खौफनाक साजिश के षड्यंत्र का हो रहा पर्दाफाश, सच जानकर उड़ जाएंगे होश
यूपी एटीएस जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा से लगातार पूछताछ कर रही है और छांगुर बाबा के बारे में एटीएस ने कई बड़े खुलासे किए हैं। छांगुर बाबा ने धर्मांतरण की फैक्ट्री के लिए अपनी अलग डिक्शनरी बना रखी थी। वह अपने गुर्गों से कोडवर्ड में बात करता था। छांगुर बाबा के निशाने पर अयोध्या, मथुरा और काशी थे। छांगुर न सिर्फ़ धर्मांतरण करा रहा था, बल्कि जनसांख्यिकी बदलने की भी साज़िश रच रहा था। छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के नाम पर जो नेटवर्क बनाया था, उसका इस्तेमाल करके वह पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से सीधे संपर्क साधने की कोशिश कर रहा था।
कई राज्यों में फैला था छांगुर का जाल
छांगुर बाबा का जाल सिर्फ़ यूपी तक ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था। यूपी एटीएस की पूछताछ में पता चला है कि उसने लव जिहाद के लिए मुस्लिम युवकों की एक पूरी फ़ौज तैयार कर रखी थी। छांगुर गिरोह ने पिछले तीन सालों में इस काम के लिए 1000 से ज़्यादा मुसलमानों को नगद पैसे दिए थे और यह गिरोह नेपाल सीमा से लगे सात ज़िलों को निशाना बना रहा था।
छांगुर बाबा का कोडवर्ड
प्रोजेक्ट... मिट्टी पलटना... काजल... और दर्शन। ये आम शब्द नहीं हैं और इन शब्दों का मतलब वो नहीं है जो आप जानते और समझते हैं। ये चार शब्द छांगुर के धोखे का चक्रव्यूह हैं। यही शब्द छांगुर के धर्मांतरण रैकेट का कोडवर्ड है। जिसकी मदद से छांगुर यूपी में धर्मांतरण का गंदा धंधा चल रहा था।
छांगुर की धर्मांतरण फैक्ट्री का शब्दकोश
जलालुद्दीन उर्फ करीमुल्लाह शाह उर्फ छांगुर बाबा इतना शातिर और चालाक है कि उसने न सिर्फ़ धर्मांतरण रैकेट का रेट कार्ड बनाया, बल्कि इस धर्मांतरण फैक्ट्री का एक अलग शब्दकोश भी बना रखा था। छांगुर ने लड़की, ब्रेनवॉश, मीटिंग और धर्मांतरण, हर काम के लिए अलग-अलग कोड तय कर रखे थे।
तीन कोडवर्ड
यूपी एटीएस ने अब तक छांगुर की धर्मांतरण फैक्ट्री के चार कोडवर्ड डिकोड किए हैं। पहला है प्रोजेक्ट- छांगुर की धर्मांतरण फैक्ट्री में प्रोजेक्ट का मतलब होता है... लड़की। इसका मतलब है कि जब छांगुर टारगेट तय कर लेता, तो वह छांगुर के गिरोह के लिए एक प्रोजेक्ट बन जाती।
छांगुर की साज़िश
छांगुर की धर्मांतरण फैक्ट्री का दूसरा कोडवर्ड है मिट्टी पलटना... जिसका मतलब है धर्मांतरण। मतलब जब किसी लड़की को अपना धर्म बदलना होता था, तो छांगुर इसका इस्तेमाल करता था। तीसरा कोडवर्ड है काजल - इसका मतलब ब्रेनवॉश करना होता था। यानी छांगुर किसी लड़की का ब्रेनवॉश करने के लिए इस कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था। चौथा कोडवर्ड है दर्शन, जिसका मतलब है छांगुर से मुलाक़ात।
छांगुर कोडवर्ड में बात करता था
छांगुर जब भी अपने गुर्गों से फ़ोन पर बात करता था... तो इन कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था। छांगुर ने जानबूझकर कोडवर्ड में ऐसे शब्द चुने थे जिन पर किसी को शक न हो। उसने जानबूझकर हिंदी और अंग्रेज़ी के शब्द चुने थे। ताकि अगर फ़ोन टैप भी हो जाए, तो किसी को असली एजेंडा पता न चले। यूपी एटीएस के पास छांगुर की ऐसी कई कॉल रिकॉर्डिंग हैं। जिनमें वह इन कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहा है। इन कोडवर्ड के खुलासे के बाद, अब यूपी एटीएस ऐसे और कोडवर्ड की तलाश कर रही है।
15 सालों से चल रहा था धर्मांतरण का गोरखधंधा
छांगुर करीब 15 सालों से यूपी में सुनियोजित धर्मांतरण का गोरखधंधा चला रहा था। छांगुर को मध्य पूर्व के विभिन्न देशों से 200 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी। और इसी पैसे से वह यूपी में धर्मांतरण की फैक्ट्री चलाकर एक बड़ी साजिश को अंजाम देने में लगा था।
जनसांख्यिकी बदलने की एक खौफनाक साजिश
यूपी एटीएस ने खुलासा किया है कि यूपी के प्रमुख हिंदू धर्मस्थलों की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश रची जा रही थी। छांगुर के निशाने पर अयोध्या, काशी और मथुरा थे। छांगुर धर्मांतरण कराकर अयोध्या, काशी और मथुरा की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश रच रहा था। इसके लिए छांगुर बाबा ने एक पूरा सिंडिकेट बनाया था और धर्मांतरण के लिए आगे की फंडिंग का इंतजाम करने में लगा था। छांगुर एक बड़ी साजिश को अंजाम देने में लगा था। वह सिर्फ धर्म परिवर्तन ही नहीं कर रहा था, बल्कि अयोध्या, काशी और मथुरा की जनसांख्यिकी बदलकर उनकी पहचान बदलना चाहता था।
छांगुर की धर्मांतरण की फैक्ट्री कैसे काम करती थी?
छांगुर एंड कंपनी यूपी में धर्मांतरण का कारखाना चला रही थी। और यह धर्मांतरण कारखाना एक सिंडिकेट की तरह काम करता था। जिस तरह छांगुर हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के रेट कार्ड बनाता था...ठीक उसी तरह लड़कियों को फंसाने के लिए भी अलग-अलग तरीके अपनाए जाते थे।
अफसर कोडवर्ड में आदेश देते थे।
पहले तरीके में, निशाना गरीब हिंदू लड़के-लड़कियाँ होते थे...जिन्हें पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता था, और दूसरा तरीका था प्रेम जाल या हनी ट्रैप, जिसमें हिंदू लड़के-लड़कियों को फंसाकर मुसलमान बनाया जाता था। तीसरा तरीका - नौकरी के नाम पर ठगी और चौथा तरीका - विदेश में बसने का लालच। लेकिन छांगुर एंड कंपनी ज़्यादातर पैसों के लालच और हनी ट्रैप के फॉर्मूले पर काम करती थी। छांगुर की अवैध धर्मांतरण फैक्ट्री की काली कहानी पीड़िता ने यूपी के गृह सचिव को बताई है।