सिरदर्द से लेकर जोड़ों तक, हर समस्या से निजात दिलाएगी ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। आजकल सिरदर्द, पेट दर्द, जुकाम और कभी-कभी जोड़ों का दर्द जैसी छोटी-बड़ी समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसे में लोग तुरंत दवा लेने लगते हैं, लेकिन आयुर्वेद में ऐसे कई पौधे और जड़ी-बूटियां हैं, जो प्राकृतिक रूप से इन समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। इनमें से एक बहुत ही खास जड़ी-बूटी है अगस्त्य का पेड़, जिसे अगस्ति या गाछ मूंगा भी कहा जाता है। प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल होता आया है।
अगस्त्य के पेड़ के फूल, पत्ते, जड़, छाल और फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें आयरन होता है, जो खून की कमी दूर करता है। विटामिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, प्रोटीन ताकत और ऊर्जा देता है, और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर को जरूरी ऊर्जा भी प्रदान करता है। इन सभी गुणों की वजह से आयुर्वेद में इसे एक संपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है।
सिरदर्द और जुकाम में अगस्त्य के फूलों का अर्क बेहद मददगार है। यह न केवल सिरदर्द कम करता है, बल्कि जुकाम या नाक बंद होने जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। पेट संबंधी परेशानियों में भी यह फायदेमंद है। फूलों का अर्क गैस, पेट दर्द और सूजन को कम करता है, और इसके एंटी-अल्सर गुण पेट के अल्सर में भी मदद करते हैं। त्वचा की समस्याओं में भी अगस्त्य काम आता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण स्किन इंफेक्शन और खुजली को दूर करने में मदद करते हैं।
अगर डायबिटीज की बात करें तो अगस्त्य का अर्क टाइप-2 डायबिटीज में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मददगार साबित हुआ है। इसके अलावा जोड़ों और आर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी यह पौधा बहुत उपयोगी है। फूलों में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-आर्थराइटिस गुण सूजन और दर्द कम करने में मदद करते हैं।
इसका इस्तेमाल भी आसान है। आप फूलों का अर्क या पाउडर सुबह खाली पेट ले सकते हैं। सूखे फूलों का आधा चम्मच पाउडर पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। पत्तों को उबालकर सब्जी के रूप में खा सकते हैं या उनका रस थोड़ी मात्रा में ले सकते हैं, जिससे शरीर की सफाई होती है और ताकत बढ़ती है। जड़ और छाल का काढ़ा या चूर्ण पाचन सुधारने, ब्लड शुगर नियंत्रित करने और जोड़ों के दर्द में मदद करता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होने के बावजूद इसका अधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। किसी भी रोग में इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।
--आईएएनएस
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