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राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2025: बचत और जागरूकता से ही बनेगा हरित भविष्य

 

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। ऊर्जा दक्षता आज के समय में टिकाऊ विकास की सबसे मजबूत नींव बन चुकी है। यह न सिर्फ प्रगति को गति देती है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। भारत में इसी सोच और प्रतिबद्धता को हर साल 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ऊर्जा का समझदारी से उपयोग करना सिर्फ सरकार या उद्योगों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी इसमें जरूरी है।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि ऊर्जा हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाती है और इसकी बचत क्यों जरूरी है। वर्ष 1991 में शुरू किए गए इस दिवस को विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) आगे बढ़ा रहा है। ऊर्जा संरक्षण का मतलब सिर्फ बिजली बचाना नहीं है, बल्कि ऐसी तकनीकों और आदतों को अपनाना है जिससे बिना जरूरत ऊर्जा की बर्बादी रुके। जब हम अपने रोजमर्रा के जीवन में ऊर्जा-सचेत व्यवहार अपनाते हैं, तो न सिर्फ संसाधनों की बचत होती है, बल्कि पर्यावरण को होने वाला नुकसान भी कम होता है।

इस दिन का सबसे खास आकर्षण राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार होता है, जो उन संस्थानों और उद्योगों को सम्मानित करता है जिन्होंने ऊर्जा की खपत कम करते हुए भी बेहतर कामकाज किया है। इन पुरस्कारों की शुरुआत भी 1991 में हुई थी। हर साल 14 दिसंबर को प्रतिष्ठित अतिथियों द्वारा ये पुरस्कार दिए जाते हैं। समय के साथ यह मंच ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में नवाचार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने वाला एक मजबूत आधार बन गया है। इन पुरस्कारों से प्रेरणा लेकर कई संगठन ऊर्जा दक्षता को अपनी प्राथमिकता बना रहे हैं।

ऊर्जा संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी बेहद अहम हैं। भारत ने बिजली उत्पादन, नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव किए हैं। परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड योजना इसके प्रमुख उदाहरणों में से एक है। यह योजना ऊर्जा-गहन उद्योगों में ऊर्जा खपत कम करने के लिए बनाई गई है। इसके जरिए हर साल लगभग 55 हजार करोड़ रुपए की ऊर्जा बचत हो रही है और करीब 11 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम किया गया है।

इसके अलावा, स्टैंडर्ड और लेबलिंग कार्यक्रम ने उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। आज जब कोई व्यक्ति फ्रिज, एसी या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदता है, तो उस पर लगे स्टार लेबल से उसे पता चलता है कि वह उपकरण कितनी ऊर्जा बचाता है। मार्च 2024 तक यह योजना 38 उपकरणों पर लागू हो चुकी है, जिससे लोग समझदारी से खरीदारी कर पा रहे हैं।

सरकार का 'गो इलेक्ट्रिक' अभियान भी ऊर्जा संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है। इसका उद्देश्य लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रिक कुकिंग के फायदों के बारे में बताना है। इसी कड़ी में शुरू किया गया ईवी यात्रा पोर्टल और मोबाइल ऐप इलेक्ट्रिक वाहन उपयोगकर्ताओं को चार्जिंग स्टेशनों की जानकारी देकर ई-मोबिलिटी को बढ़ावा दे रहा है।

उजाला योजना ने देशभर में ऊर्जा बचत की एक नई क्रांति लाई है। एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट और ऊर्जा-कुशल पंखों के इस्तेमाल से हर साल अरबों यूनिट बिजली की बचत हो रही है और उपभोक्ताओं के बिजली बिल में बड़ी राहत मिली है। इसी तरह स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम के तहत एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाकर नगर निकायों के खर्च और प्रदूषण दोनों को कम किया गया है।

--आईएएनएस

पीआईएम/डीकेपी