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यूनिफाइड पेंशन स्कीम से PM Modi ने कर्मचारियों की गरिमा से आर्थिक सुरक्षा तक सबकुछ किया सुरक्षित 

 

नेशनल न्यूज़ डेस्क, 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन देने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी गई है। सालों से देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के मन में ओपीएस (OPS) और एनपीएस (NPS) को लेकर जो विरोध की भावना दिख रही थी, उसे पीएम मोदी की महत्वकांशी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) ने खत्म कर दिया है। 

केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का लाभ केंद्र सरकार के लगभग 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। सरकारी आंकड़ों की माने तो इस योजना के लागू होने से सरकारी खजाने पर प्रतिवर्ष करीब 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। सरकारी कर्मचारियों की तरफ से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) लागू करने के लिए मोदी सरकार की केरल से कन्याकुमारी तक हर जगह तारीफ हो रही है। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी कर्मचारी संगठनों के ज्वाइंट फोरम ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) के सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था कि JCM को किसी प्रधानमंत्री द्वारा आमंत्रित किया गया था। सेक्रेटरी मिश्रा के अनुसार ये मीटिंग बहुत अच्छी रही और पीएम ने उनके 32 लाख सरकारी कर्मचारियों के विकास और सामाजिक उत्थान की दिशा में उनके दिए सुझावों का भी काफी त्वरिता से स्वागत किया। 

एनडीए कैबिनेट और केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के रिटारमेंट के बाद यह पेंशन स्कीम न सिर्फ पेंशनभोगियों के लिए एक विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि सहकारी संघवाद को भी मजबूत करता है। ये वो ही सिद्धांत है जिसका पीएम मोदी और उनका प्रशासन वर्षों से लगातार समर्थन करता आ रहा है।यह स्कीम (UPS) देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने में अहम कड़ी साबित होगी।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सुनिश्चित पेंशन की व्यवस्था की गई है, जिसके तहत अगर किसी कर्मचारी ने 25 साल तक कम से कम नौकरी की होगी तो उसे सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा। उदाहरण के लिए अगर किसी सरकारी कर्मचारी का औसत बेसिक वेतन सेवानिवृत्ति से पहले 50 हजार रुपए होगा तो उसे हर महीने 25 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी।  हालांकि, किसी की सेवा अवधि 25 साल से कम है तो उसकी पेंशन भी उसी हिसाब से कम हो जाएगी। पीएम मोदी ने यूपीएस में यह प्रावधान भी किया है कि 10 साल या इससे कम समय तक अगर किसी ने नौकरी की है तो उसे कम से कम 10 हजार रुपए की निश्चित पेंशन दी जाये। 

इसके साथ ही यूपीएस में पारिवारिक पेंशन का भी प्रावधान है, जो पेंशन कर्मचारी के मूल वेतन का 60 फीसदी होगा। पारिवारिक पेंशन कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को दी जाएगी। उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी को हर महीने 30 हजार रुपए पेंशन मिल रही थी, तो उसकी पत्नी को 60 फीसदी यानी 18000 रुपये पेंशन मिलेगी। 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए या 1 अप्रैल 2025 तक जो सेवानिवृत्त होंगे, उन कर्मचारियों को एनपीएस या यूपीएस में से किसी एक को चुनने का अवसर भी मिलेगा। 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित पेंशन सुधार के मूल सिद्धांतों पर आधारित पीएम मोदी की इस योजना में पेंशन की अंशदायी और वित्त पोषित प्रकृति से समझौता किए बिना सरकार कर्मचारी लाभ को राजकोषीय जिम्मेदारी के साथ संतुलित करती है। यूपीएस  पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस से बिल्कुल विपरीत है, क्योंकि ओपीएस ने राज्य सरकारों पर अस्थिर वित्तीय प्रतिबद्धताओं का बोझ डाला था। गैर-एनडीए नेतृत्व के तहत कुछ समय पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य ओपीएस में वापस आ गए थे, जिसकी देशभर के एक्सपर्ट्स ने वित्तीय रूप से गैर-जिम्मेदाराना कदम के रूप में आलोचना की थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे निर्णयों के गंभीर परिणामों पर प्रकाश डालते हुए बताया था कि ओपीएस पर वापस लौटने की राजकोषीय लागत बहुत अधिक होगी, जिससे संभावित रूप से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) की तुलना में पेंशन देनदारियों में चार गुना वृद्धि होगी।

मोदी सरकार की यूपीएस स्कीम कर्मचारियों को एक विवेकपूर्ण विकल्प प्रदान करता है जो उनकी शिकायतों का समाधान करते हुए यह सुनिश्चित करता है कि राज्य और केंद्र सरकारें महत्वपूर्ण पूंजी निवेश के लिए आवश्यक राजकोषीय स्तर बनाए रखें। सरकार के योगदान को मूल वेतन के 18.5% तक बढ़ाकर और कर्मचारी के योगदान को 10% पर बनाए रखते हुए, यूपीएस सुनिश्चित पेंशन और पेंशन फंड की कमाई के बीच के अंतर को पूरा करता है, जिससे सेवानिवृत्त लोगों का भविष्य सुरक्षित होता है।

यूपीएस को अपनकार राज्य अपनी वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाले बिना बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में निवेश करना जारी रख सकते हैं। मोदी सरकार का पारदर्शिता और राजकोषीय विवेक पर यह विचार ऑफ-बजट उधार पर अंकुश लगाने के साथ सहकारी संघवाद की नींव को और मजबूत करता है। 

अंततः यूपीएस सामाजिक सुरक्षा के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का एक श्रेष्ठ प्रतीक है। यह सिर्फ एक पेंशन सुधार ही नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने की एक व्यापक रणनीति भी है कि भारत के राज्यों और उसके लोगों के पास समृद्ध भविष्य के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन हों। समय के साथ जैसे-जैसे देश विकास कर रहा है, यूपीएस इस संतुलन को बनाए रखते हुए देश की वित्तीय स्थिति को सुनिश्चित करने के साथ लाखों सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।