पी. शन्मुगम की सरकार से अपील, चेन्नई में पुनर्वासित परिवारों के लिए हाउसिंग स्कीम लाई जाए
चेन्नई, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। चेन्नई में पुनर्वासित लोगों की मुश्किलें एक बार फिर चर्चा में हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव पी. शन्मुगम ने शनिवार को सरकार से खास अपील की कि वह शहर में पुनर्वासित परिवारों, खासकर कन्नगी नगर में शिफ्ट किए गए लोगों के लिए एक खास हाउसिंग स्कीम लाए, जिसमें हर परिवार को रहने की पर्याप्त जगह मिल सके।
उनका कहना है कि आज भी सैकड़ों घर ऐसे हैं, जहां लोग बेहद छोटी और असुविधाजनक जगहों में रहने को मजबूर हैं, जबकि यह एक सम्मानजनक जिंदगी के मानकों को बिल्कुल पूरा नहीं करता।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के बाद शन्मुगम ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अंबेडकर द्वारा दिए गए संवैधानिक मूल्य आज कभी न देखे गए खतरों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और समाजवाद जैसे मूल सिद्धांतों को केंद्र सरकार लगातार कमजोर कर रही है। अब जरूरत है कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें मिलकर इन मूल्यों की रक्षा करें।
राज्य से जुड़े मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने छात्रों की परेशानियों की ओर भी ध्यान खींचा। सरकारी हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को हर महीने मिलने वाला खाद्य भत्ता सिर्फ 1500 रुपए है।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं, ऐसे में इतने कम पैसे में छात्रों के लिए अपना खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस भत्ते को तुरंत बढ़ाया जाए, चाहे छात्र स्कूल के हों या कॉलेज के।
इसके अलावा शन्मुगम ने तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले अनुसूचित जाति परिवारों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कई गांवों में आज भी पक्की सड़कों, साफ सफाई, ड्रेनेज और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। उनका आरोप है कि एससी-एसटी कल्याण योजनाओं पर जो पैसा सरकार देती है। वह अक्सर साल के अंत तक खर्च ही नहीं होता और वापस चला जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को योजनाओं को समय पर लागू करना चाहिए ताकि पूरा लाभ लोगों तक पहुंचे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव पी. शन्मुगम ने कन्नगी नगर में रहने वाले लोगों की परेशानियों पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि जिन परिवारों को शहर के केंद्र से हटाकर यहां बसाया गया, वे बेहद तंग कमरों, कम रोशनी और खराब बुनियादी ढांचे के बीच जी रहे हैं।
उनके मुताबिक, इतनी भीड़भाड़ वाली जगहों में रहना लोगों की गरिमा और आराम दोनों छीन लेता है। इसलिए सरकार को इस पूरे पुनर्वास मॉडल की समीक्षा कर इसे फिर से तैयार करना चाहिए, जिसमें ज्यादा जगह, बेहतर सुविधाएं और अच्छी जीवन स्थितियां सुनिश्चित हों।
शन्मुगम ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह समावेशी विकास पर ध्यान दे। उनका कहना है कि कल्याणकारी योजनाओं का असली असर तभी महसूस होता है जब राज्य के सबसे कमजोर और हाशिए पर खड़े समुदायों तक उनका वास्तविक लाभ पहुंचे।
--आईएएनएस
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