×

मप्र हाइवे हुआ लाल, नितिन गडकरी के आदेश पर बनी देश की पहली ऐसी रोड, यहाँ देखे वायरल वीडियो 

 

भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक पहल शुरू की गई है। पहली बार, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक हाईवे पर ऐसा सिस्टम लागू किया है जो गाड़ियों की स्पीड को अपने आप कम कर देगा और जानवरों की जान बचाएगा। यह नया सिस्टम मध्य प्रदेश में भोपाल-जबलपुर हाईवे पर लागू किया गया है।

NHAI की यह नई पहल क्या है?

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे के एक संवेदनशील हिस्से पर लाल रंग के टेबल-टॉप मार्किंग लगाए हैं। ये मार्किंग लगभग 5 मिलीमीटर मोटे हैं और सड़क की सतह से थोड़े ऊपर उठे हुए हैं। इसका मकसद ड्राइवरों को खतरे वाले इलाके के पास आने पर गाड़ी की स्पीड कम करने के लिए प्रेरित करना है।

यह कदम क्यों उठाया गया?

यह फैसला हाल ही में हुए एक दुखद हादसे के बाद लिया गया, जिसमें एक चीते के बच्चे की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना ने इस बात को उजागर किया कि तेज रफ्तार गाड़ियां वन्यजीवों के लिए कितना बड़ा खतरा हैं। पिछले दो सालों में मध्य प्रदेश में सड़क हादसों में सैकड़ों जानवर मारे गए हैं, जिससे तुरंत कार्रवाई करना ज़रूरी हो गया था।

लाल टेबल-टॉप मार्किंग कैसे काम करेंगे?

यह लाल सतह खास तौर पर उन इलाकों में लगाई गई है जहां जानवर अक्सर सड़क पार करते हैं। लाल रंग दूर से ही ड्राइवरों को चेतावनी देता है, जबकि उठी हुई सतह अपने आप गाड़ी की स्पीड कम कर देती है। यह सिस्टम हाईवे के उस हिस्से पर लागू किया गया है जो एक टाइगर रिजर्व इलाके से गुज़रता है।

एक बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा

यह पहल लगभग ₹122 करोड़ के एक बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें सड़क को चौड़ा करना, जानवरों के लिए अंडरपास बनाना, सड़क के किनारे बाड़ लगाना और स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइस लगाना शामिल है। इन सभी उपायों का मकसद इंसानों और वन्यजीवों के बीच टकराव को कम करना है।

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

यह पहल दिखाती है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। सड़क निर्माण के साथ-साथ जानवरों की सुरक्षा का ध्यान रखना भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है। भोपाल-जबलपुर हाईवे पर लागू किए गए लाल टेबल-टॉप मार्किंग भारत में सड़क सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक नया मॉडल बन सकते हैं। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो इसे देश भर के अन्य संवेदनशील हाईवे हिस्सों पर भी लागू किया जा सकता है।