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Kumbh Mela:क्या कुम्भ बना देश में कोरोना का सुपर स्प्रेडर

 

कोरोजा कालनमे जब से कुम्भ शुरू हुआ तभी से ये विवादोंमे था। सभी को ये आशंका थी की इतने बड़े मेले में जब लोग स्नान करेंगे तो इस बात की पूरी संभावना है की ये एक सुपर स्प्रेडर बन जाए। वैसे अब तक भले ही खुले तौर पर इस पर बात नहीं हुई है,लेकिन कुम्भ ने कोरोना के मामलो में गति तो दी है। कुम्भ के शुरू होने के बाद उत्तराखंड के हरिद्वार भर में ही लगातार हजारो कोरोना के केस देखने को मिले। हजारो मामले हरिद्वार में मिलना इसलिए बड़ी बात है क्यूंकि यहाँ पर आबादी अधिक नहीं है। ऐसे में ये कहा जा सकता है की कुम्भ के आयोजन को लेकर सरकार का जानबूझकर आंख मूँद लेना देश के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हुआ है।

हरिद्वार में अधिकरियो की माने तो कुम्भ मेजाने वाले 2,642 श्रद्धालु कोरोना की चपेट में आ गए है। और इस आंकड़े में कई बड़े धार्मिक हस्ती भी शामिल है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह और पूर्व महारानी कोमल शाह उन लोगों में से है जो कोरोना से संक्रमित पाए गए। इसके अलावा बॉलीवुड संगीतकार श्रवण राठौड़ भी कुंभ से लौटने के तुरंत बाद मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इसके अलावा एक समूह के नौ हिंदू भी कोरोना के चलते अपनी जान गँवा बैठे।

कुम्भ पर भलेही सबने चुप्पी साध रखी हो लेकिन कुम्भ स्नान का खतरा भी पूरे देश की राज्य सरकारों को सत्ता रहा था। इसी के चलते उन्होंने कुम्भ से लौटने वाले यात्रियों पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाए। जिसमे से कोरोना परीक्षण की रिपोर्ट, 14 दिन का क्वारंटाइन जैसे प्रतिबंध शामिल है।

  • इसके अलावा राजस्थान जहाँ पर अभी कोरोना के केस ज्यादा मिलने लगे है ने तीर्थयात्रियों को राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड मामलों के तेजी से प्रसार के लिए दोषी माना है \
  • पूर्वी राज्य ओडिशा में कुम्भ से लौटे करीब 24 तीर्थयात्री ने कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था।
  • गुजरात में, एक ही ट्रेन से सफर करने वाले कुल 313 यात्रियों में से करीब लोग 34 कोरोना संक्रमित पाए गए
  • मध्य प्रदेश में तो कुम्भ से लौटे 61 श्रद्धालुओं में 60 कोरोना पॉजिटिव पाए गए है

कुम्भ को कोरोना के ऐसी क्षण में भी स्थगित न करने को लेकर आलोचकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे इसलिए रद्द नहीं किया क्यूंकि उनके हिन्दुओ का एक बहुत बड़ा धड़ा पीएम को वोट करता है। और उन वोटर्स पर इन धर्मगुरु का बहुत बड़ा असर होता है।

पर अहम बात तो ये है की कुम्भ के लिए जिम्मेदार किसे माना जाए, या फिर आसान शब्दों में कहा जाए तो किसे गैर जिम्मेदार या मुर्ख समझा जाए। इस बात में कोई दो राय नहीं है की कुम्भ का मेला बहुत पावन मेला है,ये एक अलग बहस हो सकती है की इसमें नहाने से पुण्य मिलता है की नहीं। क्यूंकि जहाँ आस्था होती है वहां बहस नहीं होती। लेकिन कोरोना के ऐसे समय में जब लोग मर रहे है तब माँ गंगा के मानस पुत्र सिर्फ अपने वोट बैंक के खातिर अगर लोगो को मरने केलिए छोड़ देते है,तो ये कितना उचित होगा। यदि इंसान मर जाएगा तब भी तो सरकार का वोट कम होगा न। उस सीएम के लिए क्या कहे जो कहते है की ये तो माँ गंगा का आशीर्वाद है,और कुम्भ से कोरोना नहीं फैलेगा।

सबसे बड़ी बात उस भीड़ के लिए क्या कहे,जो पीएम,सीएम के आदेशों का इन्तजार करती है और खुदके विवेक को कचरे के डब्बे में बंद रखती है। इस घटनाके लिए जिम्मेदार तो सभी है, और इसी वजह से सभी खामोश है।