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खरमास में सूर्यदेव की साधना से चमकेगा भाग्य, बढ़ेगा मान-सम्मान

 

नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। खरमास का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मन में यह बात आती है कि इस दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। सच भी है कि खरमास में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि यही समय सूर्यदेव की साधना के लिए बेहद खास और फलदायी माना गया है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्यदेव धनु राशि में रहते हैं, तब खरमास लगता है और यह काल आत्मिक शुद्धि, आत्मबल बढ़ाने और अंदरूनी ऊर्जा को मजबूत करने के लिए उत्तम होता है। इस बार 16 दिसंबर 2025 से खरमास की शुरुआत हो चुकी है, जो 14 जनवरी 2026 तक रहेगा।

सूर्यदेव को आत्मविश्वास, तेज, यश और मान-सम्मान का प्रतीक माना गया है। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के जीवन में बार-बार अपमान, असफलता या आत्मविश्वास की कमी महसूस हो रही हो, तो कहीं न कहीं सूर्य कमजोर हो सकता है। ऐसे में खरमास के दौरान की गई सूर्य साधना जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। यह साधना न सिर्फ मन को मजबूत बनाती है, बल्कि समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है।

खरमास में रोज सुबह स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। अर्घ्य देते समय सूर्यदेव का ध्यान करें और उनके नामों का स्मरण करें। इससे मन शांत होता है और दिन की शुरुआत ऊर्जा के साथ होती है। इसके साथ ही सूर्य चालीसा का पाठ भी अत्यंत फलदायी माना गया है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यदि खरमास में सूर्यदेव की चालीसा का पाठ किया जाए, तो वह प्रसन्न होकर साधक पर अपनी कृपा बरसाते हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति का आत्मविश्वास और समाज में सम्मान बढ़ता है। ज्योतिषियों के मुताबिक, सूर्य चालीसा से कुंडली में सूर्य का स्थान मजबूत होता है, जिससे साधक के मान-सम्मान में वृद्धि, बेहतर नेतृत्व क्षमता, उच्च पद और पिता के साथ रिश्ता मजबूत होता है।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम