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केएमवीएसटीडीसीएल घोटाला: पूर्व मंत्री बी नागेंद्र की 8.07 करोड़ की संपत्ति कुर्क

 

बेंगलुरु, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (केएमवीएसटीडीसीएल) के फंड में कथित गबन और हेराफेरी के मामले में बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत पूर्व मंत्री बी नागेंद्र की लगभग 8.07 करोड़ रुपए की चार अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

कुर्क की गई संपत्तियों में आवासीय एवं वाणिज्यिक जमीन और इमारतें शामिल हैं।

ईडी की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि यह कार्रवाई उन मामलों की जांच का हिस्सा है, जिनमें कर्नाटक पुलिस तथा सीबीआई, बेंगलुरु की बैंकिंग सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड ब्रांच ने केएमवीएसटीडीसीएल फंड के दुरुपयोग तथा धन के गैरकानूनी हस्तांतरण को लेकर कई एफआईआर दर्ज की थीं। शिकायतों के अनुसार, निगम के लिए जारी धनराशि का उपयोग अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के बजाय निजी फायदे और अवैध लेनदेन में किया गया।

फंड घोटाले के संदर्भ में ईडी ने पहले कर्नाटक सहित कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया था और फिर बी नागेंद्र सहित 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 9 सितंबर 2024 को 25 आरोपियों और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने अभियोजन शिकायत दाखिल की, जिसमें बी नागेंद्र को भी आरोपी बनाया गया। पांच अक्टूबर 2024 को बेंगलुरु की अदालत ने इस शिकायत पर संज्ञान भी ले लिया।

इससे पहले, ईडी ने 26 अगस्त को एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी कर अन्य आरोपियों की लगभग 4.94 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्तियों को अटैच किया था। जांच एजेंसी के अनुसार, बी नागेंद्र द्वारा कथित रूप से जुटाई गई अपराध से अर्जित कमाई का कुछ हिस्सा अब तक नहीं मिल पाया है। आशंका है कि यह रकम या तो पहले ही खर्च कर दी गई, या फिर उसे छिपा दिया गया, ताकि भविष्य की किसी कानूनी कार्रवाई के दौरान उस तक पहुंच न हो सके। इसी कारण ईडी ने बराबर मूल्य की संपत्तियों को कुर्क करने का कदम उठाया, ताकि आगे की कार्यवाही निर्धारित विधिक प्रक्रिया के अनुरूप चल सके और संपत्ति के नष्ट या गायब होने की स्थिति से बचा जा सके।

जांच एजेंसी ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है।

--आईएएनएस

पीआईएम/डीकेपी